बाड़मेर।। राजस्थान में एक रेलवे स्टेशन ऐसा है जहां ट्रेन को चेन से बांध कर रखा जाता है। नहीं यह कोई ऐसा मामला नहीं है के ट्रेन के चोरी हो जाने का डर है। दरअसल यहां ढलान होने के कारण ट्रेन अपने अाप न चल पड़े इसलिए प्लेटफार्म पर आते ही ट्रेन को चेन से बांध दिया जाता है। मामला है बाड़मेर रेलवे स्टेशन का। यहां खड़ी ट्रेन अपने आप दौड़ने की घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे ने नया ट्रैक भी बनाया है।
जानिए कैसे बांधते हैं चेन से ......
- दरअसल बाड़मेर प्लेटफार्म पर कई बार ट्रेन के अपने आप दौड़ने की घटनाएं हो चुकी हैं।
- बाड़मेर से उत्तरलाई की तरफ रेलवे ट्रैक की ढलान होने के कारण प्लेटफॉर्म पर खड़ी ट्रेन चल पड़ती है।
- इस तरह की पिछले तीन साल में तीन बड़ी घटनाएं हुई हैं।
- इसके बाद अब रेलवे ने नया ट्रैक तैयार किया है ताकि ऐसे हादसे दोबारा न हों।
प्लेटफॉर्म पर जंजीरों में कैद हो जाती है ट्रेनें
- प्लेटफार्म पर आते ही कर्मचारी ट्रेन के डिब्बों को जंजीरों से बांध देते हैं।
- वजह यह है कि ट्रेन अपने आप बाड़मेर से जोधपुर की तरफ चल पड़ती है। इसलिए हर समय ट्रेन के अपने आप दौड़ने का डर रहता है।
- पूर्व में हुई घटनाओं के बाद करीब एक दर्जन कार्मिक और अधिकारी नौकरी से हाथ धो चुके हैं।
- ऐसी स्थिति में अब रेलवे कार्मिक कोई रिस्क नहीं लेना चाहते हैं और ट्रेन के आते ही उसको जंजीर से बांधकर ताला लगा देते हैं।
- इतना ही नहीं पहिये के आगे लकड़ी का गुटका भी लगाते हैं।
अब नहीं होगा बड़ा हादसा, लेकिन स्थाई समाधान नहीं
- फिलहाल रेलवे ने नेहरू नगर रेलवे ओवरब्रिज के फाटक से 100 मीटर की दूरी तक एक नया ट्रैक तैयार किया है।
- यह ट्रैक इसलिए बनाया गया है कि जैसे ही कोई ट्रेन प्लेटफॉर्म से अपने आप रवाना होती है तो उसे तत्काल दूसरी लाइन की तरफ ट्रांसफर कर दिया जाएगा, जो 100 मीटर की दूरी पर जाकर अपने आप रुक जाएगी।
- हालांकि यह स्थाई समाधान नहीं हो पाया है, फिलहाल ट्रेनों को जंजीरों से मुक्ति नहीं मिलेगी, लेकिन बड़े हादसे को रोका जा सकता है।
अब तक ये तीन बड़ी घटनाएं
- वर्ष 2011 : रात में दौड़ गया इंजन : साल 2011 में रेलवे स्टेशन के ट्रैक पर खड़ा इंजन रात 11 बजे के करीब अपने आप ही दौड़ गया। जब रेलवे कार्मिकों को भी भनक लगी तो रोकने के प्रयास भी किए, लेकिन विफल रहे। उत्तरलाई से आगे जिप्सम हाल्ट के पास स्वतः ही रुका। गनीमत रही कि उस दौरान सामने से कोई ट्रेन नहीं आई, नहीं तो बड़ा हादसा हो सकता था।
- वर्ष 2013 : गुवाहटी के 13 डिब्बे दौड़े : 25 मार्च 2013 की रात 9 बजे रेलवे स्टेशन पर खड़ी गुवाहटी एक्सप्रेस के 13 कोच अपने आप दौड़ गए। कोच में सवारियां भी थीं। ट्रेन को 11 बजे रवाना होना था। इस दौरान सामने से ट्रेन भी आने वाली थी, जिसे उत्तरलाई पर ही रोका गया। गनीमत रही कि कोई हादसा नहीं हुआ।
- वर्ष 2015 : यशवंतपुरम का एक कोच दौड़ा : 25 फरवरी 2015 को शंटिंग के दौरान यशवंतपुरम एक्सप्रेस का एक एसी कोच स्वतः ही पटरियों पर दौड़ने लगा। इस दौरान रेलवे के तीन फाटक खुले थे, लेकिन लोगों की सुझबूझ से कोई हादसा नहीं हुआ। जबकि सामने से लोकल ट्रेन आ रही थी। रेलवे अधिकारियों ने भी सुझबूझ दिखाई और कोच को उत्तरलाई के पास यार्ड पर डायवर्ट कर रोका।
- दरअसल बाड़मेर प्लेटफार्म पर कई बार ट्रेन के अपने आप दौड़ने की घटनाएं हो चुकी हैं।
- बाड़मेर से उत्तरलाई की तरफ रेलवे ट्रैक की ढलान होने के कारण प्लेटफॉर्म पर खड़ी ट्रेन चल पड़ती है।
- इस तरह की पिछले तीन साल में तीन बड़ी घटनाएं हुई हैं।
- इसके बाद अब रेलवे ने नया ट्रैक तैयार किया है ताकि ऐसे हादसे दोबारा न हों।
प्लेटफॉर्म पर जंजीरों में कैद हो जाती है ट्रेनें
- प्लेटफार्म पर आते ही कर्मचारी ट्रेन के डिब्बों को जंजीरों से बांध देते हैं।
- वजह यह है कि ट्रेन अपने आप बाड़मेर से जोधपुर की तरफ चल पड़ती है। इसलिए हर समय ट्रेन के अपने आप दौड़ने का डर रहता है।
- पूर्व में हुई घटनाओं के बाद करीब एक दर्जन कार्मिक और अधिकारी नौकरी से हाथ धो चुके हैं।
- ऐसी स्थिति में अब रेलवे कार्मिक कोई रिस्क नहीं लेना चाहते हैं और ट्रेन के आते ही उसको जंजीर से बांधकर ताला लगा देते हैं।
- इतना ही नहीं पहिये के आगे लकड़ी का गुटका भी लगाते हैं।
अब नहीं होगा बड़ा हादसा, लेकिन स्थाई समाधान नहीं
- फिलहाल रेलवे ने नेहरू नगर रेलवे ओवरब्रिज के फाटक से 100 मीटर की दूरी तक एक नया ट्रैक तैयार किया है।
- यह ट्रैक इसलिए बनाया गया है कि जैसे ही कोई ट्रेन प्लेटफॉर्म से अपने आप रवाना होती है तो उसे तत्काल दूसरी लाइन की तरफ ट्रांसफर कर दिया जाएगा, जो 100 मीटर की दूरी पर जाकर अपने आप रुक जाएगी।
- हालांकि यह स्थाई समाधान नहीं हो पाया है, फिलहाल ट्रेनों को जंजीरों से मुक्ति नहीं मिलेगी, लेकिन बड़े हादसे को रोका जा सकता है।
अब तक ये तीन बड़ी घटनाएं
- वर्ष 2011 : रात में दौड़ गया इंजन : साल 2011 में रेलवे स्टेशन के ट्रैक पर खड़ा इंजन रात 11 बजे के करीब अपने आप ही दौड़ गया। जब रेलवे कार्मिकों को भी भनक लगी तो रोकने के प्रयास भी किए, लेकिन विफल रहे। उत्तरलाई से आगे जिप्सम हाल्ट के पास स्वतः ही रुका। गनीमत रही कि उस दौरान सामने से कोई ट्रेन नहीं आई, नहीं तो बड़ा हादसा हो सकता था।
- वर्ष 2013 : गुवाहटी के 13 डिब्बे दौड़े : 25 मार्च 2013 की रात 9 बजे रेलवे स्टेशन पर खड़ी गुवाहटी एक्सप्रेस के 13 कोच अपने आप दौड़ गए। कोच में सवारियां भी थीं। ट्रेन को 11 बजे रवाना होना था। इस दौरान सामने से ट्रेन भी आने वाली थी, जिसे उत्तरलाई पर ही रोका गया। गनीमत रही कि कोई हादसा नहीं हुआ।
- वर्ष 2015 : यशवंतपुरम का एक कोच दौड़ा : 25 फरवरी 2015 को शंटिंग के दौरान यशवंतपुरम एक्सप्रेस का एक एसी कोच स्वतः ही पटरियों पर दौड़ने लगा। इस दौरान रेलवे के तीन फाटक खुले थे, लेकिन लोगों की सुझबूझ से कोई हादसा नहीं हुआ। जबकि सामने से लोकल ट्रेन आ रही थी। रेलवे अधिकारियों ने भी सुझबूझ दिखाई और कोच को उत्तरलाई के पास यार्ड पर डायवर्ट कर रोका।
