
जनहित याचिका के माध्यम से अदालत से अनुरोध किया गया है कि वे अधिकारियों को एक दिशा निर्देश बनाने के लिए आदेश दें ताकि हवाई किराये की सीमा तय की जा सके और यहां की निजी एयरलाइंस की उड़ानों के लिए मनमाने और अविवेकपूर्ण ढंग से बहुत ज्यादा किराया वसूल करने से रोका जा सके.
वकील अमित सैनी ने अपनी अर्जी में कहा है कि उन्होंने हवाई किराये के बारे में जानकारी मांगने के लिए आरटीआई दायर की थी लेकिन नागर विमानन मंत्रालय ने जवाब दिया कि इसे सरकार नियंत्रित नहीं करती है उनकी याचिका पर अगले हफ्ते सुनवाई हो सकती है.
हरियाणा में हाल में हुए जाट आंदोलन के दौरान मुसाफिरों द्वारा कथित तौर पर अपनी यात्रा के लिए 90,000 रूपये से ज्यादा का भुगतान करने का हवाला देते हुए याचिका में कहा गया है कि अगर किराये की सीमा तय होती तो एयरलाइंस इतना ज्यादा किराया वसूल नहीं सकती थी.
अर्जी में कहा गया है कि निजी एयरलाइंस कंपनियां आपात स्थिति तक में लोगों को लूटती हैं और सरकार मूक दर्शक बनी रहती है. इसमें कहा गया है कि हवाई किराये की अधिकतम सीमा को नियमित करने की जरूरत है ताकि निजी एयरलाइंस अपनी मर्जी से अपने उपभोक्ताओं को लूट नहीं सकें.
हवाई किराये की सीमा तय करने की बात इस पृष्ठभूमि में उठ रही है कि यात्रियों ने मनमाने ढंग से किराया बढ़ाने की शिकायत की थी जिसका सरकार ने खंडन किया था और कहा था कि एयरलाइंस के बीच प्रतियोगिता से इस समस्या का हल हो जाएगा.