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NCRB का आंकड़ा बता रहा साल-दर-साल कितने असुरक्षित हो रहे हम

Image may contain: 8 people     नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी के 2015 के आंकड़े जारी हो गए हैं। हर बार की तरह रिपोर्ट में दिखाया गया है कि देश में हर क्षेत्र में अपराध बढ़े हैं। बच्चों से लेकर महिलाएं और आम इनसान, कोई सुरक्षित नहीं है। न सड़क पर सेफ्टी की गारंटी है, न ऑफिस में कोई भरोसा करने लायक बचा है।
एक नजर रिपोर्ट से जुड़ी अहम बातों पर-
-बाल मजदूरी अपराध है, लेकिन अब भी देश में बड़ी संख्या में बच्चों से काम करवाया जा रहा है। इसके साथ ही बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराध भी बढ़े हैं।
-पिछले साल बच्चों से साथ हुई यौन हिंसा की 25 फीसदी वारदातों को नौकरी देने या काम देने वालों अथवा साथ काम करने वालों ने अंजाम दिए हैं।
-2015 में बच्चों के खिलाफ रेप के 8800 मामले प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन अगेंस्ट सेक्सुअल ऑफेंस एक्स यानी पोस्को के तहत दर्ज हुए।
-भूमि विवाद संबंधी हिंसा में 327 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। साम्प्रदायिक दंगों में कमी आई है, लेकिन दूसरे तरह की हिंसा में वृद्धि हुई है।
-छात्रों का उग्र होना और जाति आधारित हिंसा ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। राजनीतिक हिंसा भी बढ़ी है।
-बीते साल देश में सबसे ज्यादा दंगे बिहार (कुल 65,255 दंगों का बीस फीसदी) में हुए। इसके बाद महाराष्ट्र और उत्तरप्रदेश हैं।
-इस लिहाज से चेन्नई देश का सबसे सुरक्षित शहर है। सूरत, कन्नूर और धनबाद भी सुरक्षित हैं।
देश में एक बार फिर मध्यप्रदेश महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित राज्यों में शुमार हुआ है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के वर्ष 2015 के प्रारंभिक आकड़ों के अनुसार इस बार भी दुष्कर्म के मामले देश में सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश में ही घटित हुए हैं।
     इसके साथ ही मध्यप्रदेश पर एक और कलंक लगा है, वो है शिशु की हत्या के मामले भी वर्ष 2015 में सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश में ही हुए हैं। वर्ष 2015 में पुलिस में दर्ज 2 लाख 67 हजार 76 शिकायतों के साथ मध्यप्रदेश तीसरे स्थान पर है। वहीं ऐसे करीब आधा दर्जन अपराध भी है जिसमें मध्यप्रदेश का दूसरा स्थान है।