बोर्ड ने ऐडवोकेट एजाज मकबूल के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में 68 पेजों का एक हलफनामा दाखिल किया है। उस हलफनामे में ये बातें कही गई हैं। सुप्रीम कोर्ट से तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित करने के लिए शायरा बानो एवं अन्य मुस्लिम महिलाओं ने याचिका दाखिल की है। उसी के जवाब में बोर्ड ने यह हलफनामा दाखिल किया है।
बोर्ड द्वारा दाखिल हलफनामे में उल्लेख किया गया है, 'पुरुषों के पास फैसला लेने की बड़ी ताकत होती है, जिस कारण शरिया ने पतियों को तलाक का अधिकार दिया है। उनसे जल्दबाजी में फैसले लेने की संभावना नहीं होती हैं और वे अपनी भावनाओं पर काबू रखने में ज्यादा सक्षम होते हैं।'
तीन तलाक के साथ ही मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मुस्लिम पुरुषों को चार शादियां करने की अनुमति देने वाले इस्लामी बहु-विवाह कानून की भी पुरजोर वकालत की है। बोर्ड ने अपनी दलील में कहा है कि इसका मकसद अवैध संबंधों को रोकना है और महिलाओं की रक्षा करना है।
हलफनामे में बोर्ड ने तर्क दिया है कि मनचाहे तलाक से मुस्लिम महिलाओं की रक्षा की कोर्ट की चिंता फिजूल है। बोर्ड ने कहा है कि 1985 में सुप्रीम कोर्ट के शाह बानो मामले में फैसले को पलटने के लिए राजीव गांधी सरकार ने जो कानून बनाया था, वह मुस्लिम महिलाओं की रक्षा के लिए काफी है।
