राजस्व सचिव ने भी दी सफाई
शनिवार को राजस्व सचिव हसमुख भाई के राजनीतिक पार्टियों को टैक्ट छूट पर दिये गए इस बयान पर कि राजनीतिक दलों को 30 दिसंबर तक पुराने नोट जमा करने की छूट रहेगी, संदेह की स्थिति उत्पन्न हो गयी. जिस अंदाज से वित्त सचिव ने यह अनावश्यक बयान दिया, उसने सरकार को असहज कर् दिया था. सरकार के इस कदम की चतुर्दिक आलोचना की जाने लगी. इस पर वित्त मंत्री अरुण जेटली को आगे आकर सफाई देनी पड़ गयी. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों को कोई नयी छूट नहीं दी गई है. इसके अलावा जेटली ने कहा कि कोई भी दल 500 एवं 1000 रुपये के पुराने नोटों में चंदा स्वीकार नहीं कर सकता क्योंकि उन्हें पिछले महीने ही अस्वीकार कर दिया गया था. पुराने नोट लेने वाले दल कानून का उल्लंघन करेंगे. ऐसा करने वाला कोई भी दल कानून का उल्लंघन करेगा.
वित्त मंत्री ने साफ किया कि आईटी ऐक्ट, 1961 के सेक्शन 13A के तहत राजनीतिक दलों को अपने अकाउंट का ऑडिट, खर्च और आय की जानकारी और बैलेंस शीट जमा करानी होती हैं. इसके प्रावधानों में कोई बदलाव नहीं किया गया है.
जेटली ने कहा कि पंजीकृत राजनीतिक दलों की आय पर ऐतिहासिक रूप से दी जाने वाली सशर्त टैक्स छूट जारी है. पीएम नरेंद्र मोदी के नोटबंदी की घोषणा के बाद या एनडीए सरकार ने पिछले ढाई वर्षों में कोई नई छूट या रियायत नहीं दी है. राजनीतिक दल बैंकों को 30 दिसंबर तक पुराने नोटों में रखी गई नकदी जमा करा सकते है, बशर्ते वे संतोषजनक रूप से आय के स्रोत का संतोषजनक उत्तर दें और उनकी खाता पुस्तिका आठ नवंबर से पहले की प्रविष्टियां दर्शाती हो. अगर राजनीतिक पार्टियों के रिकॉर्ड में कोई असंगति पाई जाती है तो आयकर अधिकारी अन्य लोगों की तरह उनसे भी पूछताछ कर सकते हैं.लेकिन राजनीतिक दल बैक डेट में चंदे की इंट्री दिखा कर काले को सफेद नहीं करेंगे, इसकी क्या गारंटी है ? समय आ गया है कि चुनाव आयोग की पुनर्सुधार की 12 बरस पहले की संस्तुतियों पर अमल करे सरकार. उम्मीद है कि मोदी जी यह कड़ा फैसला देर सबेर लेंगे. भ्रष्टाचार- काला धन पर यह असली प्रहार होगा.
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि राजनीतिक दलों को किसी तरह की छूट नहीं है और आयकर अधिकारी उनसे उसी तरह पूछताछ कर सकते हैं जैसे किसी अन्य से. राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने स्पष्ट किया कि राजनीतिक पार्टियां 500 और 1000 रूपए के नोटों में चंदा नहीं ले सकतीं, क्योंकि ऐसे नोट अब वैध नहीं रह गए हैं। अधिया ने कई ट्वीट करके कहा कि राजनीतिक पार्टियों को कथित छूट से जुड़ी खबरें गलत और भ्रामक हैं. नोटबंदी और कर संशोधन कानून, 2016 लाने के बाद राजनीतिक पार्टियों को कोई छूट या विशेष सुविधा नहीं दी गई है.
राजनीतिक पार्टियों की आय और चंदे आईटी ऐक्ट, 1961 के सेक्शन 13A के दायरे में आते हैं. पंजीकृत राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले चंदे को कुछ शर्तों के साथ टैक्स छूट प्राप्त है जिसमें खातों की आडिट व 20000 रुपये से अधिक के सभी चंदे टैक्स दायरे में शामिल है. राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे के बारे में रिपोर्ट निवार्चन आयोग को देनी होती है.
शनिवार को राजस्व सचिव हसमुख भाई के राजनीतिक पार्टियों को टैक्ट छूट पर दिये गए इस बयान पर कि राजनीतिक दलों को 30 दिसंबर तक पुराने नोट जमा करने की छूट रहेगी, संदेह की स्थिति उत्पन्न हो गयी. जिस अंदाज से वित्त सचिव ने यह अनावश्यक बयान दिया, उसने सरकार को असहज कर् दिया था. सरकार के इस कदम की चतुर्दिक आलोचना की जाने लगी. इस पर वित्त मंत्री अरुण जेटली को आगे आकर सफाई देनी पड़ गयी. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों को कोई नयी छूट नहीं दी गई है. इसके अलावा जेटली ने कहा कि कोई भी दल 500 एवं 1000 रुपये के पुराने नोटों में चंदा स्वीकार नहीं कर सकता क्योंकि उन्हें पिछले महीने ही अस्वीकार कर दिया गया था. पुराने नोट लेने वाले दल कानून का उल्लंघन करेंगे. ऐसा करने वाला कोई भी दल कानून का उल्लंघन करेगा.
वित्त मंत्री ने साफ किया कि आईटी ऐक्ट, 1961 के सेक्शन 13A के तहत राजनीतिक दलों को अपने अकाउंट का ऑडिट, खर्च और आय की जानकारी और बैलेंस शीट जमा करानी होती हैं. इसके प्रावधानों में कोई बदलाव नहीं किया गया है.
जेटली ने कहा कि पंजीकृत राजनीतिक दलों की आय पर ऐतिहासिक रूप से दी जाने वाली सशर्त टैक्स छूट जारी है. पीएम नरेंद्र मोदी के नोटबंदी की घोषणा के बाद या एनडीए सरकार ने पिछले ढाई वर्षों में कोई नई छूट या रियायत नहीं दी है. राजनीतिक दल बैंकों को 30 दिसंबर तक पुराने नोटों में रखी गई नकदी जमा करा सकते है, बशर्ते वे संतोषजनक रूप से आय के स्रोत का संतोषजनक उत्तर दें और उनकी खाता पुस्तिका आठ नवंबर से पहले की प्रविष्टियां दर्शाती हो. अगर राजनीतिक पार्टियों के रिकॉर्ड में कोई असंगति पाई जाती है तो आयकर अधिकारी अन्य लोगों की तरह उनसे भी पूछताछ कर सकते हैं.लेकिन राजनीतिक दल बैक डेट में चंदे की इंट्री दिखा कर काले को सफेद नहीं करेंगे, इसकी क्या गारंटी है ? समय आ गया है कि चुनाव आयोग की पुनर्सुधार की 12 बरस पहले की संस्तुतियों पर अमल करे सरकार. उम्मीद है कि मोदी जी यह कड़ा फैसला देर सबेर लेंगे. भ्रष्टाचार- काला धन पर यह असली प्रहार होगा.
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि राजनीतिक दलों को किसी तरह की छूट नहीं है और आयकर अधिकारी उनसे उसी तरह पूछताछ कर सकते हैं जैसे किसी अन्य से. राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने स्पष्ट किया कि राजनीतिक पार्टियां 500 और 1000 रूपए के नोटों में चंदा नहीं ले सकतीं, क्योंकि ऐसे नोट अब वैध नहीं रह गए हैं। अधिया ने कई ट्वीट करके कहा कि राजनीतिक पार्टियों को कथित छूट से जुड़ी खबरें गलत और भ्रामक हैं. नोटबंदी और कर संशोधन कानून, 2016 लाने के बाद राजनीतिक पार्टियों को कोई छूट या विशेष सुविधा नहीं दी गई है.
राजनीतिक पार्टियों की आय और चंदे आईटी ऐक्ट, 1961 के सेक्शन 13A के दायरे में आते हैं. पंजीकृत राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले चंदे को कुछ शर्तों के साथ टैक्स छूट प्राप्त है जिसमें खातों की आडिट व 20000 रुपये से अधिक के सभी चंदे टैक्स दायरे में शामिल है. राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे के बारे में रिपोर्ट निवार्चन आयोग को देनी होती है.