तमाम पौष्टिक भोजन खाने के बावजूद यदि बच्चा कमजोर है.. तो हो सकती है यह बीमारी
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तमाम पौष्टिक भोजन खाने के बावजूद यदि बच्चा कमजोर है.. तो हो सकती है यह बीमारी

एड्स से भी खतरनाक व्हीट एलर्जी?
    तमाम पौष्टिक भोजन खाने के बावजूद यदि बच्चा कमजोर है और उसकी लंबाई भी नहीं बढ़ रही है तो इसका एक कारण ‘व्हीट एलर्जी’ यानि ग्लूटोन से एलर्जी (सेलिएक डिजीज) हो सकती है। देश में यह बीमारी एचआईवी एड्स से कहीं अधिक पैमाने पर फैली हुई है लेकिन जागरूकता की कमी के चलते इस बीमारी से पीड़ित बच्चों का न तो पूरा विकास हो पा रहा है और न ही सही इलाज।
     डाक्टरों के मुताबिक गेंहू, जौ और रागी में ग्लूटोन पाया जाता है लेकिन जिन बच्चों को ग्लूटोन से एलर्जी होती है उनमें यह पेट की छोटी अंतड़ियों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है। यह एक प्रकार से आटो इम्यून बीमारी है जिसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अपने ही एक प्रोटीन के खिलाफ एंटी बाडीज बनाना शुरू कर देती है।
     ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश में हर सौ में से एक बच्चा इससे पीड़ित है यानि एक करोड़ 25 लाख लोग इसके शिकार हैं। इसके विपरीत एचआईवी से पीड़ित आबादी की संख्या दशमलव 2 फीसद है। लेकिन व्हीट एलर्जी पर अभी तक सरकार ने कोई विशेष ध्यान नहीं दिया है। यही कारण है कि देश की राजधानी दिल्ली तक में केवल एक दो सरकारी अस्पतालों में ही इसके ब्लड टेस्ट की सुविधा उपलब्ध है।
     हालांकि हर बड़ी प्राइवेट लैब में इसकी सुविधा है। इस बीमारी को लेकर जागरूकता अभियान ‘होप एंड हेल्पिंग हेंड सोसायटी’ से जुड़े और ‘सेलिएक स्पोर्ट आर्गेनाइजेशन’ के अध्यक्ष व वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डा. एस के मित्तल ने बीमारी के शुरुआती लक्षणों के बारे में बताया कि इस बीमारी में छोटी आंत को नुकसान पहुंचने के कारण खाना पचता नहीं है और बच्चे को दस्त लगे रहते हैं। पेट फूल जाता है और खून की कमी हो जाती है। बड़े लोगों में इसके चलते आस्टियोपोरोसिस हो जाता है। लड़के लड़कियों में किशोरावस्था के लक्षण आने में देर हो जाती है।

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