फेसबुक हमें दुखी बना रहा है और विशेष रूप से उन लोगों को अवसागग्रस्त कर रहा है जो कि 'फेसबुक ईर्ष्या' से पीड़ित हैं। जिन यूजर्स ने सोशल मीडिया साइट से एक सप्ताल लंबा ब्रेक लिया, उन्हें अपनी जिंदगी से ज्यादा संतुष्ठ पाया गया। कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी के प्रयोग में 1095 लोग शामिल थे जिनमें से आधों को उनकी फेसबुक की आदतों को जारी रखने को कहा गया और आधों को इससे दूर रहने के लिए।
शोध कहता है कि आप अपने जीवन से कितने ही संतुष्ट हों, भावनात्मक रूप से मजबूत हों, फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट का नियमित इस्तेमाल आपको उदास और दुखी कर सकता है।
अध्ययनकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि जब आप सोशल मीडिया पर दूसरों की गतिविधियों में बहुत ज्यादा दिलचस्पी लेते हैं तो इससे आप उनसे अपनी बेवजह और वास्तविकता से परे तुलना करने लगते हैं। इससे आपमें जलन और मूड खराब होने जैसी परेशानियां सामने आ सकती हैं। अध्ययन में यह भी पाया गया कि 19 से 32 साल के लोग ज्यादा समय सोशल मीडिया पर खर्च कर रहे हैं, उनके अवसादग्रस्त होने की संभावनाएं अधिक हैं।
शोध कहता है कि आप अपने जीवन से कितने ही संतुष्ट हों, भावनात्मक रूप से मजबूत हों, फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट का नियमित इस्तेमाल आपको उदास और दुखी कर सकता है।
अध्ययनकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि जब आप सोशल मीडिया पर दूसरों की गतिविधियों में बहुत ज्यादा दिलचस्पी लेते हैं तो इससे आप उनसे अपनी बेवजह और वास्तविकता से परे तुलना करने लगते हैं। इससे आपमें जलन और मूड खराब होने जैसी परेशानियां सामने आ सकती हैं। अध्ययन में यह भी पाया गया कि 19 से 32 साल के लोग ज्यादा समय सोशल मीडिया पर खर्च कर रहे हैं, उनके अवसादग्रस्त होने की संभावनाएं अधिक हैं।