जी हाँ, जौनपुर जिले का एक गाँव है जिसमें सिर्फ अफसर जन्म लेते हैं, और इस गाँव का नाम है माधोपट्टी अर्थात माधवपट्टी.
माधोपट्टी एक ऐसा गांव है जहां से देश को कई आईएएस और ऑफिसर मिलते हैं. कहने को इस गांव में केवल 75 घर हैं, लेकिन सिर्फ वर्तमान की बात की जाए तो यहां के 47 आईएएस अधिकारी विभिन्न विभागों में सेवा दे रहे हैं, यदि PCS और आईपीएस की बात की जाए तो ये लिस्ट न जाने कहाँ पहुंचे.इस गाँव का योगदान सिर्फ यहीं खत्म नहीं होता,माधोपट्टी की धरती पर जन्मे सपूत इसरो,भाभा,और विश्व बैंक तक में अधिकारी बनते हैं. यह गाँव सिरकोनी विकास खण्ड का एक छोटा सा हिस्सा है मगर देश के प्रशासनिक खंड में यह गाँव एक बड़ा हिस्सा कवर करता है.
इस गांव के अजनमेय सिंह विश्व बैंक मनीला में,डॉक्टर निरू सिंह लालेन्द्र प्रताप सिंह वैज्ञानिक के रूप भाभा इंस्टीट्यूट तो ज्ञानू मिश्रा इसरो में सेवाएं दे रहे हैं. यहीं के रहने वाले देवनाथ सिंह गुजरात में सूचना निदेशक के पद पर तैनात हैं.
कहाँ से शुरू हुई ये होड़ :
कहते हैं 1952 में इस गाँव के इन्दू प्रकाश सिंह का आईएएस परीक्षा में दूसरी रैंक के साथ सलेक्शन क्या हुआ मानो यहां के युवाओं में अधिकारी बनने की होड़ लग गई .
क्या लड़के क्या लडकियां, ये गाँव बस अधिकारी निकालता ही चला गया
क्या लड़के क्या लडकियां, ये गाँव बस अधिकारी निकालता ही चला गया
आईएएस बनने के बाद इन्दू प्रकाश सिंह फ्रांस सहित कई देशों में भारत के राजदूत रहे. सिंह के बाद इसगांव के चार सगे भाइयों ने आईएएस बनकर एक इतिहास रच दिया जो भारत में अब तक अविजित कीर्तिमान है.
क्षत्रपाल सिंह तमिलनाड् के प्रमुख सचिव रहे. वहीं चौथे भाई शशिकांत सिंह1968 आईएएस अधिकारी बने.
सिर्फ बेटे ही नहीं इस गाँव की बेटियां गरिमा सिंह आईपीएस और सोनल सिंह का चयन IRS में हुआ.
इसके अलावा इस गांव की आशा सिंह 1980, उषा सिंह 1982, कुवंर चद्रमौल सिंह 1983 और उनकी पत्नी इन्दू सिंह 1983, अमिताभ बेटे इन्दू प्रकाश सिंह 1994 आईपीएएस उनकी पत्नी सरिता सिंह 1994 में चयनित होकर इस श्रृंखला को आगे बढ़ाया.
इसी गाँव के शृीप्रकाश सिंह IAS, वर्तमान में उ.प्र. के नगर विकास सचिव हैं. 2002 में शशिकांत के बेटे यशस्वी न केवल आईएएस बने बल्कि इस प्रतिष्ठित परीक्षा में 31 वीं रैंक हासिल की.
उच्च सेवाओं के अलावा :
अगर आईएएस आईपीएस से थोड़ा पिछे आएं और बात करें PCS सेवा की तो पीसीएस अधिकारियों की यहां एक लम्बी फौज है. इस गांव के राममूर्ति सिंह, विद्याप्रकाश सिंह, प्रेमचंद्र सिंह, महेन्द्र प्रताप सिंह, जय सिंह, प्रवीण सिंह व उनकी पत्नी पारूल सिंह, रीतू सिंह पचस अधिकारी हैं इनके अलावा अशोक कुमार प्रजापति, प्रकाश सिंह, राजीव सिंह, संजीव सिंह, आनंद सिंह, विशाल सिंह व उनके भाई विकास सिंह, वेदप्रकाश सिंह, नीरज सिंह भी पीसीएस अधिकारी बने चुके हैं.
2013 के आए परीक्षा परिणाम इस गांव की बहू शिवानी सिंह ने पीसीएस परीक्षा पास करके इस परम्परा को जीवित रखा है..
2013 के आए परीक्षा परिणाम इस गांव की बहू शिवानी सिंह ने पीसीएस परीक्षा पास करके इस परम्परा को जीवित रखा है..