एक ऐसा गाँव जहां शादी में प्लास्टिक प्लेट यूज़ करने पर नहीं मिलता शादी का सर्टिफिकेट
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एक ऐसा गाँव जहां शादी में प्लास्टिक प्लेट यूज़ करने पर नहीं मिलता शादी का सर्टिफिकेट

केरल का अनोखा गांव, जो प्लास्टिक के प्रयोग पर लगा रहा है अनोखे तरीके से रोक...
     आज गांव में इस नियम को पूरी तरह से लागू कर दिया गया है और शादियों के अलावा प्लास्टिक के होर्डिंग बैनर और बोर्ड का इस्तेमाल भी बंद कर दिया गया है। अब आगे के कदम के रूप में स्कूलों में प्लास्टिक की बोतलों पर पाबंदी लगाने की योजना बनाई जा रही है।


     हालांकि पंचायत का ऐसा फैसला लेना आसान नहीं था। क्योंकि अधिकतर गांववासियों ने इसके खिलाफ अपना विरोध जताया था। उन्हें लगता था कि प्लास्टिक की प्लेटों की जगह पर वे क्या इस्तेमाल करेंगे। लेकिन हरितकर्म सेना ने इसका समाधान कर दिया।
     शादी-विवाह में प्लास्टिक की प्लेट और बाकी कई सामानों का बहुत इस्तेमाल होता है। सस्ते और इस्तेमाल में आसान होने की वजह से इनका प्रचलन काफी बढ़ चुका है। लेकिन इस्तेमाल में जितने आसान ये दिखते हैं उससे कहीं ज्यादा पर्यावरण को नुकसान भी पहुंचाते हैं। इन्हें एक बार प्रयोग करने के बाद न तो उनका दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है और न ही उन्हें सही से डिस्पोज किया जा सकता है। इस स्थिति को देखते हुए केरल के एक गांव ने एक नया निर्देश जारी कर दिया है। इसके मुताबिक अगर गांव में किसी ने शादी विवाह में प्लास्टिक की प्लेटें इस्तेमाल कीं तो उसे शादी का सर्टिफिकेट नहीं मिलेगा।
      मनोरमा ऑनलाइन की एक रिपोर्ट के मुताबिक केरल के कन्नूर जिले में कोलाड ग्राम पंचायत शादियों को बिलकुल ग्रीन तरीके से मनाने के मिशन पर है। इसका नाम 'मालइन्यामिल्लाता मंगल्यम' रखा गया है जिसका मतलब 'शादी में नहीं कोई बर्बादी' होता है। सुनने में मुश्किल लगने वाली यह पहल गांव में काफी पॉप्युलर हो गई है और लगभग हर कोई इसे लागू भी कर रहा है। हालांकि अभी ये नियम सिर्फ शादी में ही लागू हो रहे हैं, लेकिन आने वाले समय में इसे 100 अतिथियों से ज्यादा वाले हर समारोह में लागू किया जाएगा। गांव में जिसके यहां भी शादी होती है वो पंचायत में जाकर आवेदन करता है।
     इसका मकसद पर्यावरण को प्लास्टिक से होने वाली हानि से बचाना है। इस नियम का उल्लंघन करने वाले पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया जाता है। इसीलिए 100 से ज्यादा अतिथियों को आमंत्रित करने पर पंचायत को सूचना देनी ही होती है। सूचना पाने पर पंतायत के लोग शादी समारोह में पहुंचते हैं और इस बात का निरीक्षण करते हैं कि कहीं वहां पर प्लास्टिक की प्लेटों का यूज तो नहीं हो रहा है। जब वे संतुष्ट हो जाते हैं कि वहां पर प्लास्टिक की प्लेटों का यूज नहीं हुआ है तो उसके बाद ही शादी का सर्टिफिकेट जारी किया जाता है। इसके अलावा नियम का पूरा पालन करने पर नवदंपति को पंचायत की तरफ से उपहार भी दिया जाता है।
    हालांकि पंचायत का ऐसा फैसला लेना आसान नहीं था। क्योंकि अधिकतर गांववासियों ने इसके खिलाफ अपना विरोध जताया था। उन्हें लगता था कि प्लास्टिक की प्लेटों की जगह पर वे क्या इस्तेमाल करेंगे। लेकिन हरितकर्म सेना ने इसका समाधान कर दिया। उन्होंने पत्तियों से बनने वाली पत्तल और स्टील का इंतजाम कर दिया। आज गांव में इस नियम को पूरी तरह से लागू कर दिया गया है और शादियों के अलावा प्लास्टिक के होर्डिंग बैनर और बोर्ड का इस्तेमाल भी बंद कर दिया गया है। अब आगे के कदम के रूप में स्कूलों में प्लास्टिक की बोतलों पर पाबंदी लगाने की योजना बनाई जा रही है। गांव में वृक्षारोपण को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। ऐसा करके यह गांव हमें पर्यावरण बचाने की नजीर पेश कर रहा है।

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