क्या आप अनुमान लगा सकते हैं कि यह महिला जो जमीन पर बैठी हजारों लाठी लिए लोगों के सामने हाथ जोड़कर भीख़ माँग रही है यह कौन है ?
यह महिला जिला मिदनापुर की एडिशनल डीएफओ पुरबी महतो हैं जिन्होंने कर्त्तव्य पालन के लिए आदिवासियों के सामने हाथ जोड़कर बैठ गयी।
यह महिला जिला मिदनापुर की एडिशनल डीएफओ पुरबी महतो हैं जिन्होंने कर्त्तव्य पालन के लिए आदिवासियों के सामने हाथ जोड़कर बैठ गयी।
मिदनापुर जिले के लालगंज आदिवासी क्षेत्र में एक परम्परा है जिसमें हाथों
में डण्डे-लाठी खुखरी, नुकीले हथियार लिए हजारों आदिवासी शिकार के लिए
जंगल में जाते हैं और हज़ारों बेगुनाह जानवर मार दिए जाते हैं।
इस बार भी नियत दिन हजारों आदिवासियों को महा शिकार के लिए निकलना था लेकिन वन विभाग की पूरबी ने तय कर लिया था वह इसे रोकेंगी, उन्होंने पूरे प्रयास किये, महीनों पहले से जागरूकता अभियान चलाये, कानून का भय भी दिखाया लेकिन अंत में कुछ भी काम न आया, पांच हजार से अधिक आदिवासी हथियार लेकर जंगल की ओर बढे जा रहे थे, पूरबी महतो ने माहौल भांपते हुए जनजाति के बुजुर्गों से एक भावनात्मक अपील की , वह जमीन पर हाथ जोड़कर बैठ गयीं, और बहुत मार्मिक अपील करते हुए, उन्होंने कहा कि अपने हथियार उठाओ और मुझे भी मार दो , लेकिन जब तक मेरी सांस है, मैं आपको आगे नहीं जाने दूँगी।
पूरबी महतो की यह भावनात्मक अपील काम कर गई , और बुजुर्गों के निर्णय पर सभी आदिवासी वापस लौट गए।
दिल्ली से दूर इस नायिका को बहुत पहचान नहीं मिली, 29 मार्च के टेलीग्राफ अखवार में यह छोटी सी खबर दिखी थी। पूरबी महतो का यह कार्य एक महानायिका का कार्य है, आईये हम सब मिलकर उनको सलाम भेजें और इतना भेजें की उन तक पहुँच जाये। इस महानायिका पूरबी महतो को हमारा नमन।
इस बार भी नियत दिन हजारों आदिवासियों को महा शिकार के लिए निकलना था लेकिन वन विभाग की पूरबी ने तय कर लिया था वह इसे रोकेंगी, उन्होंने पूरे प्रयास किये, महीनों पहले से जागरूकता अभियान चलाये, कानून का भय भी दिखाया लेकिन अंत में कुछ भी काम न आया, पांच हजार से अधिक आदिवासी हथियार लेकर जंगल की ओर बढे जा रहे थे, पूरबी महतो ने माहौल भांपते हुए जनजाति के बुजुर्गों से एक भावनात्मक अपील की , वह जमीन पर हाथ जोड़कर बैठ गयीं, और बहुत मार्मिक अपील करते हुए, उन्होंने कहा कि अपने हथियार उठाओ और मुझे भी मार दो , लेकिन जब तक मेरी सांस है, मैं आपको आगे नहीं जाने दूँगी।
पूरबी महतो की यह भावनात्मक अपील काम कर गई , और बुजुर्गों के निर्णय पर सभी आदिवासी वापस लौट गए।
दिल्ली से दूर इस नायिका को बहुत पहचान नहीं मिली, 29 मार्च के टेलीग्राफ अखवार में यह छोटी सी खबर दिखी थी। पूरबी महतो का यह कार्य एक महानायिका का कार्य है, आईये हम सब मिलकर उनको सलाम भेजें और इतना भेजें की उन तक पहुँच जाये। इस महानायिका पूरबी महतो को हमारा नमन।