माणिक सरकार नहीं ईमानदारी हार गई !
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माणिक सरकार नहीं ईमानदारी हार गई !

माणिक ने साबित कर दिया कि वो अमूल्य हैं!
    एस एम फ़रीद भारतीय देश का सबसे गरीब मुख्यमंत्री आज हार गया लोग यही कहकर खुशियां मना रहे हैं, मनानी भी चाहिए, क्यूंकि आज ये हार माणिक सरकार की नहीं ईमानदारी की हार है।
    माणिक जैसे लोग भी मुख्यमंत्री बन सकते हैं, जिनके पास आज तक अपना घर नहीं, कोई कार नहीं, कोई भी अचल संपत्ति नहीं, पांचाली भट्टाचार्या को साइकिल रिक्शा पर बैठकर बाजार जाते हुए देखना, त्रिपुरा के लोगों के लिए हमेशा एक आम सी बात रही.
     माणिक सरकार की पत्नी हैं पांचाली भट्टाचार्य, ये उस दौर का सच है जहां एक अदने से अधिकारी की बीबी भी करोड़ों की मालकिन है तब बड़े नेताओं और सरकारी एम्बेसडर वाले अधिकारियों की बात क्या करनी, पांचाली भट्टाचार्य रिटायरमेंट तक सेंट्रल सोशल वेलफेयर बोर्ड में काम करती रहीं, जीवन में कभी किसी काम के लिए सरकारी गाड़ी का उपयोग नहीं किया.
    माणिक सरकार अपनी पूरी तनख्वाह पार्टी फंड में डोनेट करते आए, बदले में 9700 रुपए प्रति माह का स्टाइपेंड और पत्री की तनख्वाह से जीवन चलता रहा, 20 साल लगातार मुख्यमंत्री रहे इस शख्स ने कभी भी इंकम टैक्स रिटर्न फाइल नही किया, कभी इतनी आय ही नही हुई कि रिटर्न फाइल करने की नौबत आए, संपत्ति के उत्तराधिकार के तौर पर सिर्फ एक 432 स्क्वायर फीट का टिन शेड मिला, वो भी मां की तरफ़ से, पिता अमूल्य सरकार पेशे से दर्जी थे, मां अंजली सरकार सरकारी कर्मचारी थीं, ये 432 स्क्वायर फीट का टीन शेड.
    माणिक सरकार ने त्रिपुरा के धानपुर से चुनाव लड़ते एफिडेविट फाइल किया उनके पास नकदी सिर्फ 1520 रुपए, बैंक के खाते में केवल 2410 रुपए, कोई इंवेस्टमेंट नही, मोबाइल फोन तक नही ?

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