नोएडा के सेक्टर-29 में रहने वाले कर्नल वीएस चौहान को उनके हरिजन पड़ोसी की पत्नी ने छेड़छाड़, मारपीट और एससी-एसटी ऐक्ट के तहत जेल भिजवा दिया था।
आपको बता दे की उनकी इस हरिजन पड़ोसन का पति एडीएम था। महिला और उसके पति ने ना केवल एक साथ खुद के दलित होने की कथित पीड़ा का मिथ्या आडम्बर किया अपितु एडीएम होने के रसूख की ताकत का भी भरपूर इस्तमाल किया।
होना क्या था, कर्नल साहब जेल चले गये। छूटते भी नहीं, लेकिन भला हो सोसाइटी में लगे सीसीटीवी कैमरे का, जिससे यह पता चला कि कर्नल साहब को तो खुद 'पीड़ित' महिला ने ही पीटा था।
अब समझ लीजिए एससी-एसटी ऐक्ट में तत्काल गिरफ्तारी का प्रावधान कितना घातक है। जीवन भर जिसने देश की सेवा की, उस शख्स को 75 वर्ष की उम्र में बिना किसी अपराध के जेल का मुंह देखना पड़ा।
कर्नल साहब तो पूर्व सैनिकों की पैरोकारी और सीसीटीवी के दम पर छूट गये हैं, लेकिन ऐसे भी तमाम गरीब हैं, जिनकी जिंदगी तबाह हो जाती है। खैर, लगे रहिये सरकार। इस पीड़ा को झेलने वालों की आबादी कम है और आपको वोट से मतलब है।
आपको बता दे की उनकी इस हरिजन पड़ोसन का पति एडीएम था। महिला और उसके पति ने ना केवल एक साथ खुद के दलित होने की कथित पीड़ा का मिथ्या आडम्बर किया अपितु एडीएम होने के रसूख की ताकत का भी भरपूर इस्तमाल किया।
होना क्या था, कर्नल साहब जेल चले गये। छूटते भी नहीं, लेकिन भला हो सोसाइटी में लगे सीसीटीवी कैमरे का, जिससे यह पता चला कि कर्नल साहब को तो खुद 'पीड़ित' महिला ने ही पीटा था।
अब समझ लीजिए एससी-एसटी ऐक्ट में तत्काल गिरफ्तारी का प्रावधान कितना घातक है। जीवन भर जिसने देश की सेवा की, उस शख्स को 75 वर्ष की उम्र में बिना किसी अपराध के जेल का मुंह देखना पड़ा।
कर्नल साहब तो पूर्व सैनिकों की पैरोकारी और सीसीटीवी के दम पर छूट गये हैं, लेकिन ऐसे भी तमाम गरीब हैं, जिनकी जिंदगी तबाह हो जाती है। खैर, लगे रहिये सरकार। इस पीड़ा को झेलने वालों की आबादी कम है और आपको वोट से मतलब है।