दिल्ली हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि महिला को वैकल्पिक आवास की व्यवस्था होने तक केस चलने के बाद भी घर से बाहर नहीं किया जा सकता। जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच ने 18 दिसंबर को घरेलू हिंसा की शिकार छह महिलाओं की अपील पर सुनवाई को मंजूरी देते हुए यह बात कही। महिलाओं ने अपनी अर्जी में कहा था कि घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत वे घर में रह सकती हैं, लेकिन इसके बाद भी ट्रायल कोर्ट ने उन्हें घर से बाहर करने के पक्ष में फैसला दिया। कोर्ट ने कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम में पीडि़ता के संरक्षण की बात कही गई है, लेकिन इसमें मालिकाना हक जैसी बात नहीं है। जस्टिस पल्ली ने कहा कि घर के मालिकाना हक से परे पीडि़ता को संबंध जारी रहने तक रहने का अधिकार है।
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