बदलते दौर में नशे के आदत मिटाने के लिए लोग दवा को भी नही छोड़ते है। दवा जो मर्ज़ ठीक करती है उसको हमारी युवा पीढ़ी नशे के तौर पर प्रयोग करने लग जाती है। आज कल जो नशा नवजवान पीढ़ी को सबसे अधिक खोखला कर रहा है वह है कफ सिरप कोडीन का नशा। एक शीशी सिरप 75 से 95 रुपयों तक का आता है। रात होते ही युवक मेडिकल स्टोर्स के सामने दिखाई देते है। एक सिरप एक बार में ही गट से अन्दर और उसके बाद एक कप चाय खूब मीठी। चाय जितनी मीठी होगी उतना ज्यादा नशा चढ़ेगा। इस तर्ज पर इन युवको के जेब में कई के शक्कर भी रहती है। अन्यथा चाय वाले से थोड़ी चीनी ज्यादा मांग कर काम चल जाता है। इसके बाद दिमाग पूरी तरह से सुन और नशे का सुरूर चढ़ना शुरू हो जाता है।
क्या है कोडीन का नुक्सान
इस सम्बन्ध में हमने युवा चिकित्सक डॉ सौरभ वाही से बात किया तो उन्होंने बताया कि कोडीन एडिक्ट बनाता है। यानी लम्बे समय तक प्रयोग करने से मरीज़ इसका आदि हो जाता है। यही नही इसका साइड इफेक्ट भी काफी तगड़ा होता है और ये किडनी तथा लीवर को ख़राब करता है। इसी कारण जब अति आवश्यकता पड़ती है तभी चिकित्सक कोडीन प्रिस्क्राइब करते है अथवा नही। नशे के तौर पर जो युवा पीढ़ी इसका प्रयोग कर रही है वह अपने जीवन से स्वयं खेल रहे है।
क्या कहते है अधिकारी
इस सम्बन्ध में मुख्यचिकित्साधिकारी डॉ वी पी सिंह से हमारी बात हुई तो उन्होंने बताया कि कोडीन बहुत ज़रूरत होने पर ही खासी के पेशेंट को दिया जाता है। ताकि उसको कुछ नींद आ सके वह भी एक से दो चम्मच यानी 5-10 एमएल काफी होता है। इसको बिना डाक्टर के परामर्श नही लेना चाहिए और न ही इसकी बिक्री होती है। यदि कोई ऐसा करता है और बिना चिकित्सक के लिखे पर्चे के वह कोडीन बेच रहा है तो यह सरासर गलत है और कानूनन अपराध की श्रेणी में आता है। विभाग इसके ऊपर पैनी नज़र रखता है।
क्या कहती है पुलिस
मगर कभी भी इसके ऊपर पुलिस को बड़ी कार्यवाही तो छोड़े मामूली कार्यवाही भी नही करती है। शहर के बीचो बीच सडको पर देर रात तक खुले रहने वाले मेडिकल स्टोर इसकी सप्लाई के मुख्य अड्डे है। मगर पुलिस इस सम्बन्ध में कभी भी फिक्रमंद नही होती है। जबकि हकीकत ये है कि लगभग हर एक थाना क्षेत्र के मेडिकल स्टोर्स पर यह उपलब्ध रहता है और दूकानदार खुल्लम खुल्ला इसको बेचता भी है। कई दुकानों का मुख्य कारोबार ही कोडीन सिरप का होता है। एक दिन में 100 से 200 शीशी बेच कर मोटी कमाई अपने जेब के हवाले करते ये कारोबारी किसी की फिक्र नहीं करते है।
काले कारोबार की मोटी कमाई
कौन है बड़ा कारोबारी
वैसे तो इस कारोबार में होलसेल के दुकानदार प्रति शीशी 3 से 5 रुपया मुनाफा कमाते है मगर इसका सबसे अधिक फायदा फुटकर दूकानदार उठाते है। इन दुकानदारो के अपने कायदे कानून है। अंकुश लगाने वाला कोई है नही तो अंकुश लगाये कौन ? इसी तर्ज पर जमकर कारोबार चल रहा है।
इस काले कारोबार का शायद शहर का सबसे बड़ा रिटेल कारोबारी आदमपुर थाना क्षेत्र के मछोदरी के एक दुकानदार है। लाखो का अन्य दवाओं से सम्बंधित स्टोक रखने वाला यह कारोबारी देर रात तक दूकान खोले रहता है। सुबह से ही इसके दूकान पर एमबी की मांग शुरू हो जाती है। शाम जैसे जैसे ढलती है वैसे वैसे इसकी मांग भी बढती रहती है। रात गहरी होने पर एक साथ चार से पांच भी एमबी के ग्राहक इसकी दूकान पर दिखाई पड़ जाते है।
कैसे पहचाने कि आपके घर का युवक है एमबी का एडिक्ट
यदि आपके घर के किसी नवजवान को काफी गहरी नींद आ रही है। देर तक सो रहा है। नींद से उठने के बाद भी नहा धोकर फ्रेश हो जाने के बाद भी उसकी आँखे नशीली लगे। उसके जेब में शक्कर मिले अथवा घर में भी वह आम तौर पर चाय की मिठास को बढा कर पी रहा है तो होशियार हो जाए, शायद वह युवक ड्रग का एडिक्ट हो रहा है। ऐसे युवक नार्मल सिगरेट की जगह लोकल नेपाली सिगरेट भी पीना शुरू कर देते है।
युवक से मानवता के तहत पेश आये। उसके साथ सख्ती एकदम न दिखाई। आपकी डांट फटकार उसको नशे के तरफ और भी लेती जायेगी। चाय की दुकानों पर देर तक बैठना बंद करवाए और नज़र रखे। उसको प्रेम से समझाए। आवश्यकता हो तो किसी मनो चिकित्सक से काउंसिलिंग भी करवाये। इस प्रकार के नशे की आदतों को छुडाने के लिए कई चिकित्सक भी उपलब्ध है। रीहैबिटेशन सेंटर से भी आप कंसल्ट कर सकते है।