सरकारी नौकरी देने के नाम पर उतरवाए 100 महिलाओं के कपड़े, पूछे गए अभद्र सवाल
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सरकारी नौकरी देने के नाम पर उतरवाए 100 महिलाओं के कपड़े, पूछे गए अभद्र सवाल

    सूरत।। गुजरात के भुज में बीते दिनों एक गर्ल्स हॉस्टल की 68 लड़कियों को होने का ‘सबूत’ देने के लिए महिला टीचरों के सामने कपड़े उतारने पड़े थे। इस घटना के चर्चा में आने के हफ्ते भर बाद सूरत में महिला ट्रेनी क्लर्क्स को निर्वस्त्र कर स्त्री रोग संबंधी जांच करने का मामला सामने आया है। आरोप है कि इस दौरान अविवाहित महिलाओं से कुछ आपत्तिजनक निजी सवाल भी पूछे। 
   मामला राज्य सरकार द्वारा संचालित सूरत म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन (एसएमसी) के एक अस्पताल का है। एसएमसी कर्मचरी संघ ने म्यूनिसिपल अधिकारी के सामने घटना की शिकायत दर्ज कराई है। अपनी शिकायत में संघ ने कहा कि तकरीबन 100 ट्रेनी कर्मचारियों को उस समय बड़ी हैरानी हुई, जब वे अनिवार्य फिटनेस टेस्ट के लिए सूरत नगर आयुर्विज्ञान एवं अनुसंधान संस्थान पहुंचे। वहां महिला ट्रेनी क्लर्क्स को 10-10 के समूहों में निर्वस्त्र खड़ा रहने को कहा गया था। इस दौरान उनकी प्राइवेसी को लेकर भी असंवेदनशीलता दिखाई गई। 
महिलाओं से पूछे अभद्र सवाल
    एक अधिकारी ने बताया कि जिस कमरे में महिलाओं को ऐसी हालत में रहने का निर्देश दिया गया था, वहां दरवाजा भी ठीक से बंद नहीं किया गया था। कमरे में सिर्फ एक परदा लगा था। इस विवादित फिंगर टेस्ट के अलावा भी महिलाओं के साथ अभद्रता की गई और उनसे कुछ निहायत निजी सवाल पूछे गए। कई अविवाहित महिलाओं से पूछा गया कि क्या वे कभी गर्भवती हुई हैं? कई महिलाओं ने स्त्री रोगों की जांच कर रही महिला डॉक्टरों पर आरोप लगाया कि उन्होंने उनके साथ बदसलूकी भरा बर्ताव किया। 
    अस्पताल के स्त्री रोग विभाग के प्रमुख आश्विन वछानी ने बताया कि हॉस्पिटल के गाइडलाइन्स के मुताबिक, महिलाओं की शारीरिक जांच अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता कि ऐसी जांच पुरुषों की होती है या नहीं लेकिन महिलाओं के मामले में हमें इन नियमों का पालन करना पड़ता है और जांच करनी होती है कि कहीं किसी महिला को किसी तरह का रोग तो नहीं है। 
68 छात्राओं का हुआ माहवारी टेस्ट
    बता दें कि इससे पहले भुज के सहजानंद गर्ल्स इंस्टिट्यूट के हॉस्टल के गार्डन में एक इस्तेमाल किया हुआ सैनिटरी पैड मिलने के बाद कॉलेज की 68 लड़कियों को प्रिंसिपल के सामने माहवारी टेस्ट से गुजरना पड़ा था। इस दौरान उन्हें माहवारी न होने का ‘सबूत’ देने के लिए महिला टीचरों के सामने कपड़े उतारने पड़े थे। मामला काफी विवादित हुआ था और इसके सामने आने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने जांच के लिए कमिटी बनाई है।

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