भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमान जी का जन्मोत्सव या हनुमान जयंती आज पूरे देश में हर्षोल्लास एवं आनंदपूर्वक मनाई जा रही है। भगवान शिव के अवतार हनुमान जी का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को चित्रा नक्षत्र और मेष लग्न में हुआ था। जिस दिन हनुमान जी ने जन्म लिया, उस दिन मंगलवार था। इस वजह से प्रत्येक मंगलवार को हनुमान जी की आराधना की जाती है। इस हनुमान जयंती पर आप विधि विधान से पूजा अर्चना करके उनको प्रसन्न कर सकते हैं। हनुमान जी आपके सभी संकटों का नाश कर देंगे, इसलिए वे संकट मोचन कहलाते हैं।
हनुमाज जयंती के दिन आप बजरंगबली को प्रसन्न करके अपनी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति कर सकते हैं। त्रेतायुग में हनुमान जी ने अपना पूरा जीवन भगवान श्रीराम की सेवा में समर्पित कर दिया। चाहे माता सीता का पता लगाना हो या फिर भ्राता लक्ष्मण के प्राणों की रक्षा करनी हो, संकटमोचन हनुमान सदैव प्रस्तुत रहे। ठीक वैसे ही आप अपनी भक्ति से हनुमान जी को प्रसन्न करके अपने बिगड़े काम सफल बना सकते हैं। आइए जानते हैं कि हनुमान जयंती के दिन बजरंबली की पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र, भोग आदि क्या है?
इस वर्ष चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 07 अप्रैल 2020 दिन मंगलवार को दोपहर 12:01 बजे हो रहा है, जो 08 अप्रैल 2020 दिन बुधवार को सुबह 08:04 बजे तक रहेगी। ऐसे में बुधवार को हुनमान जयंती मनाई जाएगी। मंगलवार के दिन दोपहर से पूर्णिमा तिथि प्रारंभ हो रही है। इसमें पूर्णिमा का सूर्योदय व्यापनी मुहूर्त नहीं है, इसलिए 08 अप्रैल को सुबह 08 बजे से पूर्व ही आप हनुमान जी की पूजा अर्चना कर लें। बुधवार को सुबह 08:04 बजे के बाद वैशाख मास प्रारंभ हो जाएगा। बुधवार को सुबह सर्वार्थ सिद्धि योग भी बना हुआ है, हलांकि यह केवल 4 मिनट का है। सुबह 06:03 बजे से 06:07 बजे के मध्य सर्वार्थ सिद्धि योग में हनुमान जी की पूजा कर लेना उत्तम रहेगा।
रक्षा कवच
“ॐ श्री हनुमते नम:”
सर्वकामना पूरक हनुमान मंत्र
ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्।
हनुमान जी का भोग
पवनपुत्र हनुमान जी को हलुवा, गुड़ से बने लड्डू, पंच मेवा, डंठल वाला पान, केसर-भात और इमरती बहुत प्रिय है। पूजा के समय उनको आप इन मिष्ठानों आदि का भोग लगाएं, वे अतिप्रसन्न होंगे। काफी लोग उनको बूंदी या बूंदी के लड्डू भी चढ़ाते हैं।
पूजन विधि
बुधवार के दिन प्रात:काल में स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद गंगा जल से पूजा स्थान को पवित्र करें और मन में हनुमान जी के साथ प्रभु श्रीराम और माता सीता के नाम का स्मरण करें। अब हाथ में जल लेकर हनुमान जी पूजा और व्रत का संकल्प लें। हनुमान जी की पूजा में ब्रह्मचर्य के नियमों का पालन करें और मन, कर्म तथा वचन से पवित्र रहें।
संकल्प के बाद पूजा स्थान पर पूरब या उत्तर दिशा में मुख करके आसन पर बैठ जाएं। इसके बाद हनुमान जी की एक प्रतिमा को चौकी पर स्थापित करें। अब हनुमान जी को पुष्प, अक्षत्, चंदन, धूप, गंध, दीप आदि से पूजा करें। आज के दिन उनको सिंदूर अवश्य अर्पित करें। इसके बाद हनुमान जी को बूंदी के लड्डू, हलुवा, पंच मेवा, पान, केसर-भात, इमरती या इनमें से जो भी हो, उसका भोग लगाएं।
अब हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, श्रीराम स्तुति का पाठ करें। पूजा के समय आप हनुमान कवच मंत्र की एक माला का जाप करें। इससे आपके सभी संकटों का समाधान हनुमान जी करेंगे। अपनी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए सर्वकामना पूरक हनुमान मंत्र का जाप करें। पूजा के अंत में हनुमान जी की आरती करें। हनुमान जी की पूजा के साथ उनके आराध्य श्रीराम और माता सीता की भी पूजा करें। प्रभु श्रीराम की पूजा करने से बजरंगबली अत्यंत प्रसन्न होते हैं।
इसके बाद लोगों में प्रसाद वितरित कर दें। स्वयं फलहार करते हुए व्रत रहें। रात्रि में भगवत जागरण, भजन-कीर्तन, सुंदरकांड का पाठ आदि करें। अगले दिन सुबह स्नान आदि के बाद हनुमान जी की पूजा करें। ब्राह्मण को दान-दक्षिणा दें और फिर अंत में पारण करके व्रत को पूरा करें।