कोरोना वॉर : क्या जुगाड़ से बच सकेगा लिपस्टिक उद्योग
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कोरोना वॉर : क्या जुगाड़ से बच सकेगा लिपस्टिक उद्योग

College student sews face masks designed for the deaf and hard of ...     कोरोना से देश का मेकअप उधोग भी चौपट हो गया है। मास्क लगाने के कारण क्रीम पावडर लिपस्टिक की बिक्री खत्म सी हो गयी है। अगर यही हाल सालभर रह गया तो लिपस्टिक उत्पाद बनाने वाले लोग भूखे मर जायेंगे। यही नही बल्कि यदि महिलाओं को बिना लिपस्टिक मेकअप के रहने की आदत पड गयी तो बेचारे मेकअप बनाने वाले और इसके बिक्रेता बर्बाद हो जायेगे।
     मास्क लगाने का सबसे अच्छा फायदा महिलाओं को ये हुआ की अब उनको अपने चेहरे को साफ सुथरा रखने और मेकअप करने के झंझट से मुक्ति मिल गयी है। इसके अलावा उनको हजारों रुपये के व्यय और समय की बरबादी से बचत हो गयी है। वैसे आजकल पुरुष भी मेकअप मे पीछे नही है। अक्सर क्रीम पावडरो से सने रहने वाले पुरुष सुंदर दिखने की चाह मे पारलरो मे जाते है और हजारों रुपये मेकअप और बाल सवारने मे लगाते है। कोरोना के डरसे हजारों लोगो ने सर गंजे करवा लिए है निश्चित ही हेयर आयल और शैम्पू बनाने वाली कंपनियों को भी इससे भारी हानी होगी।
    मेकअप उधोग की तरह ब्यूटी पार्लर उधोग भी घाटे मे आ गया है।हजारों रुपये प्रतिदिन कमाने वाले पारलर सुने पडे है। उसमे काम करनेवाले लोग बैचेन है।उपर से ब्याह शादियों के तीन चार सावे खाली निकल चुके है। छोटी नाईयो की दुकानें भी पिछले डेढ महिने से बंद पडी है। डेली काम करके पेट भरनेवाले नाईयो का समय भी कष्टकारी चल रहा है। सहायता के नाम पर सरकार के पास भोजन के पैकेट और छोटी मोटी सहायता के सिवाय कुछ नही है वो भी समय पर मिल जाये तो गनीमत है।
     कोराना से डेंटिस्टो का भी धंधा मंदा पड गया है। मास्क लगाने के बाद अपने टेडे मेडे दांतो को सुंदर बनवाने के लिए महिला या पुरुष डेंटिस्टो के पास कम ही जारहे है। मास्क लगाने के बाद दांत सुंदर है या बेकार सब मास्क मे छुप जाता है। दांतो की क्लीनिंग मे एकबार मे तीन हजार रुपमे रखवा लेने वाले क्लीनिक माथा पकडे बैठे है।
    फिलहाल तो अधिकतर महिलाएं युट्यूब की मदद से जलेबी रसमलाई रसगुल्ले बनाने मे व्यस्त चल रही है। वो अपने से बडो और यूट्यूब को गुरु मानकर अपने को क्षेष्ठ रसोईया बनाने मे लगी हुयी है। परिवार की सेवा मे लगी हुयी इन महिलाओं को अब ये याद ही नही रहा की कभी वो मेकअप मे सजी संवरी रहा करती थी।अब ये क्रीम पावडर, लिपस्टिक, टिकी, बिंदी, काजल बनाने वाले उद्योगपतियो को सोचना है कि कोराना मे मास्क के चलते हुये वो अपनी बिक्री को बढाने के लिए महिलाओं को फिर से कैसे प्रेरित करे?


(Omendra Singh Raghav) 



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