मोदी सरकार के खिलाफ युवाओं की मुहिम‚ ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा है #Modi_rojgar_दो…
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मोदी सरकार के खिलाफ युवाओं की मुहिम‚ ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा है #Modi_rojgar_दो…

   क्या देश के भर्ती आयोग सेटिंग आयोग बन चुके है ?
   रोजगार को लेकर को लेकर देश में हर कोई बेतहाशा परेशान हो चूका है, लेकिन मोदी सरकार मंदिर बनवाने, हिंदुत्व की भावना जगाने और देश में कही इमारतों के तो कही रास्तों के नाम बदलने को ही विकास और रोजगार मान चुकी है। तो वही लगातार बढ़ती बेरोजगारी और चयन आयोग सुस्त रैवये को लेकर अब युवाओं का गुस्सा मोदी सरकार के खिलाफ फूटना शुरू हो गया है। इसको लेकर देशभर के युवाओं ने #मोदी_रोजगार_दो [#modi_rojgar_दो] कैंपेनिंग की शुरुआत की है। छात्रों की यह मुहिम हाल ही में शुरू होने के बाद अब देश में तेज़ी से बढ़ती जा रही है जिसको लेकर ट्विटर [Twitter] पर #मोदी रोजगार दो [#modi_rojgar_दो] ट्रेंड भी शुरू हो गया है।
    आपको बता दें कि साल 2013 में कांग्रेस सरकार पर हमला बोलते हुए मोदी ने कहा था कि कांग्रेस की सरकार युवाओं को रोजगार नहीं दे रही है अगर उनकी सरकार सत्ता में आई तो वह हर साल 2 करोड़ लोगों को रोजगार देंगे। लेकिन अब तक कितने लोगों को रोजगार मिला यह किसी को पता नहीं है।
    पहला कार्यकाल पूरा होने के साथ ही मोदी सरकार का अब दूसरा कार्यकाल भी लगभग आधा होने को जा रहा है। लेकिन देश में बेरोजगार युवाओं की सुध सरकार ने अभी तक नही ली है। इस कारण बेरोजगारों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। युवाओं ने केंद्र की मोदी सरकार और स्टाफ सेलेक्शन कमिशन (एसएससी) के खिलाफ हल्ला बोल दिया है। युवा ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए मोदी सरकार और चयन आयोगों के खिलाफ अपने गुस्से का इजहार कर रहे हैं।
   युवाओं का नारा है कि “बहाना नहीं बहाली चाहिए‚ मोदी रोजगार दो” [#modi_rojgar_दो] युवाओं का यह गुस्सा रविवार से अब तक ट्विटर पर तैर रहा है। वही मोदी सरकार युवाओ को स्टार्टअप के जरिए आत्मनिर्भर बन दूसरों को रोज़गार देने के सपने दिखा रही है जो हकीकत में धरातल पर बहुत मुश्किल सा दिख रहा है। 
ना वैकेंसी‚ ना रिजल्ट‚ सोया हुआ है सेलेक्शन कमिशन
   बता दें कि सुपर सलेक्शन कमिशन (एसएससी) अब स्लो सेलेक्शन कमिशन बन गया है। आलम ये है कि इस आयोग द्वारा जो परीक्षा दो साल पहले कराई गई थी उसका रिजल्ट भी अभी तक जारी नही किया गया है। वही कोई नई भर्ती भी नही निकाली जा रही है। इसके अलावा परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रशन तक ये आयोग गलत शामिल कर चुका है जिसको लेकर छात्र कई-कई साल तक कोर्ट के चक्कर लगाते रहें है।
    अब सिस्टम की लेटलतीफी के चलते सरकारी नौकरी की बाट देख रहे युवा आपा खोते जा रहे हैं। वहीं चयन आयोग में भ्रष्टाचार को लेकर भी बीते कई सालों से छात्र संगठन संघर्ष कर रहे हैं और सवाल उठा रहे हैं कि दो-तीन सालों की प्रतियोगिता परीक्षा का रिजल्ट और प्रक्रिया भी अभी तक ठंडे बस्ते में है। बीते साल भी कोरोना के चलते दर्जनों प्रतियोगी परीक्षाएं सरकार ने स्थगित कर दी थी जिनका अभी तक कोई अता-पता नहीं है।
2019 में छात्रों ने चलाया था “मै भी बेरोजगार हूं कैंपेन“
   ध्यान रहे कि साल 2019 में युवाओं ने मैं भी बेरोजगार हूं अभियान चलाया था। दरअसल 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मैं भी चौकीदार अभियान चलाया था इसके जवाब में देशभर के युवाओं ने मैं भी बेरोजगार हूं करके एक कैंपेन चलाया था।
    वहीं अब युवाओं ने #मोदी रोजगार दो कैंपेन की शुरुआत की है। तैयारी कर रहे छात्रों का कहना है कि कर्मचारियों का चयन करने वाले संस्थान एसएससी अब स्लो कमीशन बन गया है। परीक्षा में पारदर्शिता बिल्कुल भी नहीं रही है। 25 फरवरी से छात्र इसको लेकर आंदोलन शुरू कर रहे हैं। इस आंदोलन में छात्रों के साथ-साथ पढ़ा रहे शिक्षक और कई ऑनलाइन कोचिंग सेंटरों के शिक्षक भी सरकार पर हमला बोल रहे हैं।
राम भरोसे चल रहा है एसएससी– ना कोई नियम ना कोई कानून
    आउटलुक की रिपोर्ट के मुताबिक, युवाओं की ये मुहिम 19 फरवरी को सीजीएल 2019 के टीयर-2 के रिजल्ट जारी किए जाने के बाद शुरू हुआ है। मीडिया से बातचीत हुए छात्रों ने कहा कि, “टीयर टू की परीक्षा तीन चरणों में 15, 16 और 18 नवंबर को आयोजित की गई थी। आयोग के मुताबिक 18 नवंबर का पेपर आसान था और छात्रों ने काफी अच्छा यानी 200 अंक की परीक्षा में कुल 200 अंक हासिल किया।“ आगे वो बताते हैं, “जब सीजीएल का रिजल्ट आया तो कई ऐसे छात्र जिन्होंने अंसर की के मुताबिक अच्छा स्कोर किया था, लेकिन लिस्ट में उनका नाम नहीं है। घोषित कट ऑफ से 100 मार्क्स तक काट दिए गए हैं जिन्होंने 18 नवंबर को परीक्षा दिया था वही कइयो के 70 से 80 नंबर बढ़ा दिए गए जिन्होंने 15, 16 नवंबर को परीक्षा दिया था।“ छात्रों का आरोप है कि वो इस बात को समझने में नाकाम है कि किस प्रक्रिया के तहत ये किया गया।
    एसएससी की वेबसाइट के मुताबिक जारी टीयर वन और टीयर टू के कुल 600 अंक में जनरल का कट्-ऑफ 528 है जबकि एसटी का 405, एससी का 434, ओबीसी का 478 और ईडब्ल्यूएस का 466 जारी किया गया। छात्रों का कहना है कि नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया की वजह से इससे छात्रों का काफी नुकसान हो रहा है। कैरियर खत्म हो रहा है। जिन्हें आंसर की के मुताबिक इससे 100 नंबर तक अधिक मिले थे वो भी इस लिस्ट में नहीं हैं।
      वहीं, अभिनय शर्मा प्रतियोगी परीक्षा के लिए अनएकेडमी प्लेटफॉर्म और अपने यूट्यूब चैनल के जरिए छात्रों को गणित पढ़ाते हैं। अभिनय शर्मा ने शनिवार की शाम को एक वीडियो जारी करते हुए केंद्र और एसएससी पर कई सवाल उठाए हैं। इसके अलावा शिक्षक गगण प्रताप ने भी अपने वीडियो के माध्यम से सेलेक्शन प्रक्रिया पर और जारी रिजल्ट पर सवाल उठाए हैं। शिक्षकों का कहना है कि इस बार के रिजल्ट के साथ मार्क्स जारी नहीं हुए हैं क्योंकि आयोग बच्चों को भ्रम में रखना चाहती है।
    एसएससी द्वारा रिजल्ट के मुताबिक कहा गया है कि टीयर-टू का परिणाम टीयर-थ्री की परीक्षा परिणाम के साथ जारी किया जाएगा। दिल्ली के साकेत में तैयारी कर रहे छात्र अंकित मिश्रा कहते हैं कि पहले तीन से चार दिनों में अंक जारी कर दिए जाते थे लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है। वहीं, बीते साल “स्पीक रेलवे-एसएससी” अभियान का भी आयोग पर कुछ असर नहीं हुआ है। सिर्फ तारीखों का ऐलान किया जा रहा है जबकि रिजल्ट पेंडिंग हैं। सबसे बड़ी समस्या परीक्षा सेंटर को लेकर भी है। छात्रों को पेपर के लिए 500 किलोमीटर के दायरे में या दूर सेंटर दिया जा रहा है। जबकि कई परीक्षाएं ऑनलाइन हो रही है।
   शिक्षकों का कहना है कि आयोग पेपर का लेवल क्यों नहीं बढ़ाती है। आयोग किस आधार पर ये तय करती है कि कौन-सा पेपर हल्का है और कौन सा भारी। उस छात्र की क्या गलती है जो उस शिफ्ट में शामिल हुआ जिसमें उसने अधिकत्तम स्कोर प्राप्त किये। अभी तक चयन आयोग की तरफ से कोई बयान नहीं जारी किया गया है।

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