कोरोना से बचने के लिए लोगों ने जमकर खाया च्वनप्राश, गिलोय, खूब पिया काढ़ा

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    49 फीसदी ने इम्युनिटी बूस्टर पर खर्च किए ज्यादा पैसे?
    कोरोना महामारी में लोगों के खाने के तरीकों में भी बदलाव आए हैं, लोग अब च्यवनप्राश, काढ़ा जैसे इम्युनिटी बूस्टर पर ज्यादा खर्च करने लगे हैं। पिज्जा, बर्गर, चाट, समोसे, चाउमीन की जगह जगह हरी सब्जियां और फल ज्यादा खाने लगे हैं। वही एक बड़ी आबादी ने बाहर के खाने से भी तौबा कर ली है। कोरोना के कारण लोगों के खानपान में काफी बदलाव आया है।
कोरोना ने लोगों के खानपान में क्या बदलाव किया है?
    कोरोना की बीमारी (कोविड-19) से बचने के लिए आप ने क्या किया? फिटनेस पर ध्यान दिया, बाहर मास्क लगाकर निकले, भीड़ में नहीं गए या इसके अलावा भी कोई उपाय किया है? तो जवाब होगा हां। एक बड़ी आबादी ने कोरोना वायरस से बचने के लिए खूब च्वनप्राश और गिलोय खाया तो कुछ लोगों ने अश्वगंधा, अदरक, तुलसी, दालचीनी, लेमनग्रास का काढ़ा भी पिया। 
     एक बड़ी आबादी ने विटामिन्स की गोलियों का भी खूब इस्तेमाल किया है। गांव कनेक्शन के सर्वे में निकलकर आया है कि 49 फीसदी यानि हर दूसरे व्यक्ति ने इम्युनिटी बूस्टर यानि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर ज्यादा पैसे खर्च किए हैं। कोरोना ने लोगों की खाने की आदतें बदल दी हैं। 
    रोहित सिंह बताते है कि वे और उनके परिवार के पांच सदस्य सितम्बर महीने में कोरोना पॉजिटिव हो गए थे, इस दौरान उनके परिवार में च्यवनप्राश, काढ़ा जैसे उत्पादों का खर्च बढ़ गया। रोहित सिंह उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के भिखनापुर गाँव के रहने वाले हैं। रोहित सिंह बताते हैं, "कोरोना पॉजिटिव होने से पहले से ही चाय की जगह काढ़ा पीने लगे थे, कोरोना से ठीक होने के बाद भी अभी भी पूरा परिवार काढ़ा, च्यवनप्राश जैसे इम्युनिटी बढ़ाने वाली खाने-पीने की चीजें ही ज्यादा खा-पी रहा है।" 
     रोहित सिंह की तरह देश के करोड़ों लोग कोरोना से बचने और या फिर कोरोना की चपेट में आने (कोविड पॉजिटिव) के बाद 49.1 फीसदी लोग च्यवनप्राश, गिलोय, काढ़ा, विटमिन्स की गोलियों पर ज्यादा पैसे खर्च कर रहे हैं। ये आंकड़े देश के 16 राज्यों और एक केंद्र शाषित राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में 6,000 से ज्यादा लोगों के बीच कराए गए सर्वे में निकल कर आए हैं। 
     दिल्ली में मेडिकल स्टोर चलाने वाले आदर्श जायसवाल बताते हैं, "हमारे यहां सबसे ज्यादा इम्युनिटी बढ़ाने वाले ही उत्पाद बिक रहे हैं। मार्च के बाद से च्यवनप्राश, शहद जैसे उत्पादों की मांग बढ़ी है, फिर उसके बाद बहुत सारी कंपनियों के काढ़े भी आ गए हैं और गिलोय टैबलेट भी आ गई है। मानकर चलिए की पहले हर दिन जहां दस च्यवनप्राश बिकते थे, इस समय तीस से ज्यादा बिक जाते हैं। सर्दियां आते ही और ज्यादा मांग बढ़ जाएगी। पहले लोग इन सब चीजों को इतना जरूरी नहीं समझते थे, लेकिन आप किसी के भी यहां जाएंगे आपको काढ़ा और च्यवनप्राश मिल ही जाएगा।" 
    शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयुष मंत्रालय ने भी खाने-पीने के आयुर्वेदिक उपाय सुझाएं थे, जिनमें काढ़ा, च्यवनप्राश जैसे उत्पाद शामिल हैं। आयुष मंत्रालय ने उपाय भी जारी किए थे, जिसके अनुसार, सुबह के समय 10 ग्राम (एक चम्मच) च्यवनप्राश लें। मधुमेह रोगियों को शुगर-फ्री च्यवनप्राश लेना चाहिए। तुलसी, दालचीनी, काली मिर्च की का काढ़ा दिन में एक या दो बार लेना चाहिए। इसके साथ ही हल्दी वाला दूध भी पीने की सलाह दी गई है। 

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