जार्डन के मौजूदा किंग अब्दुल्लाह इस्लाम धर्म के पैगंबर मोहम्मद साहब की बेटी के एकदम सीधे वंशज हैं और जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला की पत्नी राजकुमारी रानियां जो लेबनानी मूल की हैं और जो लंदन में पढ़ी-लिखी हैं वह जॉर्डन की महारानी है।
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जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला अब्दुल्लाह जॉर्डन का शासक बनने के पहले जॉर्डन की सेना में कैप्टन पद से भर्ती होकर जनरल तक प्रमोशन पाए और लगातार 15 सालों तक जॉर्डन की सेना में रहे और अपने सेवाकाल के दौरान उन्होंने जॉर्डन के लिए कई लड़ाइयां भी लड़ी।
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जब सीरिया में ISIS के आतंकियों ने जॉर्डन के पायलट को बंधक बनाकर उसे पिंजरे में कैद करके जिंदा जला दिया था उस घटना से जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला को इतना गुस्सा आया कि उन्होंने खुद सैनिक वर्दी पहनकर ISIS के खिलाफ युद्ध छेड़ दिए थे।
इतना ही नहीं उन्होंने अपने बेटे को भी जॉर्डन की सेना में भर्ती करवाया हुआ है और उनका बेटा भी जॉर्डन की सेना में एक एक आम नागरिक की तरह सेवाएं देता है।
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जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला भी ब्रिटेन से पढ़े हुए हैं और वह काफी खुले ख्यालों के है। पैगंबर के सीधे वंशज होने के बावजूद भी उनके अंदर जरा भी कट्टर इस्लामिकवाद नहीं है उन्होंने अपने देश जॉर्डन में कहीं भी कट्टरपंथ को पनपने नहीं दिया।
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जॉर्डन में पूरी रात नाइट क्लब चलते हैं। जॉर्डन में कहीं भी शराब प्रतिबंधित नहीं है। जॉर्डन के समुद्र के किनारे आपको बहुत सी लड़कियां और महिलाएं बिकनी में नजर आएंगे।
जॉर्डन में कहीं भी शरिया कानून लागू नहीं है। आप जॉर्डन में कहीं भी आजादी से घूम सकते हैं और सऊदी अरब या दूसरे इस्लामिक देशों की तरह जॉर्डन में कोई पाबंदी नहीं है।
यहां तक कि खुद जार्डन की महारानी कभी हिजाब और बुरखा नही पहनती हालांकि वह मक्का मदीना में उमरा और हज करने भी जाती हैं।
जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला भारत के काफी करीबी हैं और उन्होंने कई बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का साथ दिया है।
शायद आज के कट्टरपंथी लोगों को यह विचार करना पड़ेगा कि जब खुद पैगंबर मोहम्मद साहब के सीधे वंशज कट्टरपंथ नहीं है और उनकी पत्नी हिजाब या बुर्का नहीं पहनती तब जबरदस्ती आम मुसलमानों पर कट्टरपंथ क्यों थोपा जाता है?