भारत में ज्यादातर प्रसव सिजेरियन क्यों किए जा रहे हैं?

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   भारत में ज्यादातर प्रसव सामान्य प्रसव के बजाय सी-सेक्शन के रूप में क्यों किए जा रहे हैं? इसका एकमात्र कारण डॉक्टर नहीं हैं (20% भी नहीं), लेकिन लोग इसके लिए डॉक्टरों को दोषी ठहराते हैं। इन दिनों कपल न सिर्फ अपनी प्रेग्नेंसी प्लान कर रहे हैं बल्कि ये भी प्लान कर रहे हैं कि उन्हें किस दिन उस बच्चे को धरती पर लाना चाहिए।
    वे स्वयं एक शुभ समय का चयन करते हैं और सी-सेक्शन के लिए डॉक्टरों से संपर्क करते हैं। वैसे ये ट्रेंड थोड़ा नया है लेकिन ये हमारे देश में सबसे खराब चलन भी बन चूका है और भी कई तरह के दंपत्ति हैं जो कहते हैं हम प्रसव पीड़ा सहन नहीं कर सकते। इसलिए वे खुद सामान्य प्रसव की कोशिश किए बिना जटिलताओं को देखे बिना सी सेक्शन के लिए जा रहे हैं।
   इन दिनों शादी की उम्र बीस के दशक के मध्य में और गर्भावस्था 20 के दशक के अंत या 30 के मध्य की ओर बढ़ रही है। देर से गर्भधारण सी सेक्शन के लिए संकेत हैं।
   इन दिनों विभिन्न बाहरी और आंतरिक तनाव के कारण हार्मोनल मुद्दे बढ़ रहे हैं जो जटिल गर्भावस्था और सी सेक्शन का एक कारण है। कुल मिलाकर जटिल गर्भधारण में वृद्धि हुई है और इसलिए सी-सेक्शन की संख्या भी बढ़ी है।
   अन्य कारण को देखे तो कई जोड़े इन दिनों आईवीएफ या अन्य माध्यम से गर्भधारण कर रहे हैं और ये जुड़वा बच्चों को जन्म दे रहे हैं। देर से गर्भावस्था (वे प्राकृतिक तरीकों से बीसवीं साल के उत्तरार्ध में कोशिश करते हैं और देर से डॉक्टरों से संपर्क करते हैं), जटिलताएं (माँ में दवाओं के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती है), तनाव आदि) जो सी-सेक्शन के लिए संकेत है।
    सभी नहीं बल्कि कुछ डॉक्टर ऐसे भी हैं जो बेवजह सी सेक्शन करवाते हैं जिससे उन डॉक्टरों की मोटी कमाई हो सके।

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