कांग्रेस सरकार में पुलिस प्रशासन से दुखी होकर एक और वकील ने की आत्महत्या
न्याय के लिए वकील ही आत्महत्या करने को मज़बूर क्यों है?
अभिभाषक संघ ने उग्र विरोध प्रदर्शन कर सरकार को दी चेतावनी
बांसवाड़ा/राजस्थान।। कांग्रेस सरकार में बेलगाम होते पुलिस प्रशासन सरकार के सुशासन की धज्जिया उड़ाने में लगा हुआ है। कांग्रेस शासन में ही राजस्थान में लगातार दो वकीलों की पुलिस और प्रशासन की प्रताड़ना से आत्महत्या को लेकर जहा राज्यभर के अभिभाषक संघ ने सरकार और पुलिस प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, वही राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में भी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज सिंह चौहान के नेतृत्व में सैकड़ों की तादाद में कई वकीलों द्वारा उग्र विरोध प्रदर्शन किया गया।
मृतक वकील को श्रद्धांजलि देते हुए एक दिन का कार्य का बहिष्कार किया गया
प्रदर्शन के तहत जहा सैकड़ों की तादात में वकीलों द्वारा मृतक वकील को श्रद्धांजलि देते हुए एक दिन के कार्य का बहिष्कार किया गया। वही ज्ञापन में दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कड़ी क़ानूनी कार्रवाई की भी मांग की गई। मौके पर बार एसोसिएशन के बैनर तले एकत्रित हुए सभी वकीलों ने जहा अपने कार्य का पूर्ण रूप से बहिष्कार करते हुए बांसवाड़ा जिला कलेक्टर को वकीलों के साथ राजस्थान में हो रही प्रताड़ना के चलते आत्महत्या की घटनाओ और दुर्व्यवहार को लेकर रैली निकालते हुए दोषी पुलिस कर्मियों के विरुद्ध कठोर क़ानूनी कार्यवाही की मांग को लेकर ज्ञापन दिया। एसोसिएशन का कहना है कि सरकार ने यदि दोषियों के ख़िलाफ़ सख्त कार्रवाई नहीं की तो वकील न्याय के लिए सड़कों पर उग्र आंदोलन के लिए उतरेंगे साथ ही एसोसिएशन द्वारा मृतक वकील के लिए सरकार से उचित मुआवज़े की भी मांग की गई है।
जिला कलेक्टर ने किया आश्वस्त
मौके पर आक्रोशित अधिवक्ताओं ने पुलिस मुर्दाबाद, नहीं चलेगी नहीं चलेगी पुलिस की गुंडागर्दी नहीं चलेगी जैसे नारों के साथ अपनी आवाज़ को बुलंद किया। वही बांसवाड़ा जिला कलेक्टर अपनी विभागीय मीटिंग में व्यस्त होने पर उन्होंने वकीलों के प्रतिनिधि मंडल से इस सम्बन्ध में उचित कार्यवाही हेतु संघठन की बात को वकीलों के हित में उच्च स्तर तक पहुंचाने का आश्वासन दिया।
एसडीएम कोर्ट की लापरवाही पर भी वकीलों की नाराज़गी आई सामने
वही आक्रोशित वकीलों का समूह एसडीएम कोर्ट बांसवाड़ा द्वारा बरती जाने वाली लापरवाहियों का विरोध दर्ज करवाने और कोर्ट की कार्रवाई में पारदर्शिता और उसमे सुधार की मांग को लेकर बांसवाड़ा एसडीम के चेंबर में जा पहुंचा जहा बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज सिंह चौहान और वरिष्ठ अधिवक्ता शाबाज खान पठान, राजकुमार जैन और यशपाल गुप्ता ने एसडीएम कोर्ट रीडर की अपने कार्य के प्रति लापरवाही के विषय में एसडीएम को अवगत करवाया गया।
वकीलों का कहना था की एसडीएम कोर्ट के बाहर प्रतिदिन के केस की कौस लिस्ट लगाई जाना की मांग की गई। साथ ही एसडीएम कोर्ट में पेशियों की तारीख देने को लेकर होने वाली गड़बड़ी की भी शिकायत गई।
आक्रोशित वकीलों का कहना था की एसडीएम कोर्ट में कई केस की फाइले ही कई समय से गायब है, वही पेशी और केस के सुनवाई की तारीख उन्हें समय पर नहीं दी जाती है। इससे वकील भी अपने पक्षकारों को समय नहीं बता पाते वही केस की समय की जानकारी के अभाव केस की जो समयावधि है उसके भी निकल जाने की समस्या बनी रहती है। वही एसडीएम में सभी समस्याओ को सुनते हुए कहा की हमारे यहाँ अभी रीडरो की ट्रेनिंग चल रही उसके बाद कार्य प्रणाली में सुधार हो जाएगा।
इस पर अधिवक्ताओं ने एसडीएम कोर्ट के रीडर के रवैये से नाखुश हो कर उन्हें कार्य में रूचि ही नहीं है ऐसा कहते हुए उन्हें कही और ही लगाने की मांग भी की। वकीलों की इस मांग से एसडीएम साहब थोड़े असहज हो गए उन्होंने कहा की रीडर की दो वर्ष की ही नौकरी बकाया है। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठा की फिर इतने वर्षो की नौकरी के बाद जब दो साल ही सेवानिवृत्ति के बकाया है तो ऐसे व्यक्ति की ट्रेनिंग की आवश्यकता ही क्यों है?
प्रताड़ना के चलते न्याय ना मिलने पर वकीलों द्वारा की जाने वाली आत्महत्याओं के मामले लगातार तेज़ी से बढ़ते जा रहे है। ऐसे जहा पुलिस प्रशासन के हौसले राजनैतिक संरक्षण में बेखौफ हो गए है वही न्याय के लिए लड़ने वाले गरीब वकील अकाल ही शोषण का शिकार हो मौत को गले लगा रहे है। राज्य में गृह मंत्रालय का जिम्मा जहा राज्य के मुख्यमंत्री ने ही संभाल रखा है ऐसे सबसे बड़ा प्रश्न यह उठता की जब कानून की रक्षा करने वकील ही जब असुरक्षित और लाचार है तो आम जनता के न्याय की बात तो पूरी तरह से बेमानी ही साबित होगी।प्रदर्शन के दौरन बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज सिंह चौहान, वरिष्ठ वकील शबाज़ खान पठान, राजकुमार जैन, यशपाल गुप्ता, नरेश पुरोहित, प्रीतम सिंह राठौड़, अजित सिंह चौहान, राहुल चंचावत, भूपेंद्र जैन, हेमेंद्र नाथ पुरोहित, आकाश पटेल, कल्पेश जैन, प्रवीण सिंह सोलंकी, राजेंद्र कुमार जैन, अजय सिंह सोलंकी, हेमंत दोसी, निखिल मालोत, उदय सिंह राठौड़, रोहित नायक, जीतेन्द्र जत्ती साहित कई अधिवक्तागण मौके पर मौजूद थे।
जनता के न्याय के लिए जंग लड़ने वाले वकील ही अब कांग्रेस सरकार में खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे है नहीं है। हाल ही में कुछ दिनों पहले राजस्थान के ही सीकर में भी एसडीएम के शोषित रवैये से प्रताड़ित होकर वकील ने सरेआम आत्मदाह किया था। वही राजस्थान के श्रीगंगानगर के एक और वकील ने पुलिस प्रशासन के शोषण से प्रताड़ित होकर आत्महत्या करने की खबर सामने आई है।
श्रीगंगानगर में वकील ने किया सुसाइड, पुलिस पर प्रताड़ित करने का आरोप
श्रीगंगानगर में भी सोमवार देर रात एक वकील ने आत्महत्या कर ली। वकील के परिजनों ने स्थानीय पुलिस पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। वहीं इस मामले को लेकर भाजपा और आरएलपी ने गहलोत सरकार पर निशाना साधा है।
राजस्थान के गंगानगर जिले में एक वकील ने अपने घर में फांसी लगाकर कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। परिजनों ने आरोप लगाया है कि स्थानीय पुलिस पिछले कई दिनों से वकील को प्रताड़ित कर रही थी। वही परिजनों ने शव लेने से इनकार कर दिया है।
घटना गंगानगर जिले के घड़साना कस्बे में सोमवार रात हुई। वकील के परिजनों ने आरोप लगाया है कि उसे स्थानीय पुलिस द्वारा अवैध नशीले पदार्थ के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रताड़ित किया जा रहा था। परिजनों ने शव लेने से इनकार करते हुए आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कठोर क़ानूनी कार्रवाई की मांग की है। वही घटना से आक्रोशित वकीलों ने पुलिस पर मादक पदार्थो की तस्करी में कमीशनखोरी और गैर क़ानूनी स्मगलीन करने में तस्करों की मदत करने के संगीन आरोप लगाते हुए दोषी पुलिस कर्मियों को दण्डित कर उक्त केस की जांच सीबीआई से करवाने की मांग की है।
वहीं राज्यभर के अधिवक्ताओं ने इस मामले को लेकर एक दिन के कार्य बहिष्कार का भी आह्वान किया है।वही पुलिस के अनुसार वकील विजय सिंह झोरड़ ने सोमवार को अपने घर में फांसी लगाने से पहले अपने एक साथी अधिवक्ता मित्र को फोन किया था। झोरड़ के दोस्त ने तुरंत वकील की अध्यापक पत्नी को फोन कर इसकी जानकारी दी जिसके बाद वह स्कूल से घर पहुंची तो विजय सिंह फांसी के फंदे पर लटके मिले।
पुलिस के मुताबिक मृतक वकील के परिजनों ने आरोप लगाया है कि जब से झोरड़ ने इलाके में अवैध नशीले पदार्थ के खिलाफ आंदोलन शुरू किया था तब से पुलिस उन्हें परेशान कर रही थी।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने इस साल अप्रैल में झोरड़ की इसी बात को लेकर पिटाई की थी। झोरड़ की पत्नी कांता देवी ने घड़साना के थानाधिकारी मदन लाल और पांच अन्य पुलिसकर्मियों पर उनके पति को परेशान करने का आरोप लगाया है।
पुलिस के अनुसार, परिजनों को समझाने की कोशिश की जा रही है और मामले की जांच जारी है। वहीं, राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने इस मामले को लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधा।उन्होंने ट्वीट किया, “घड़साना बार संघ के पूर्व अध्यक्ष विजय सिंह द्वारा पुलिस प्रताड़ना से परेशान होकर आत्महत्या करने की घटना सरकार के माथे पर कलंक है। इससे वकीलों में गहरा आक्रोश है।” राठौड़ ने कहा, “कस्बे में नशीले पदार्थों के खिलाफ अभियान चलाने वाले वकील की पुलिसकर्मियों ने पहले भी बेरहमी से पिटाई की थी। पुलिस प्रताड़ना के कारण ही वकील को मजबूरन आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़ा।” उन्होंने कहा, “मेरी मांग है कि पीड़ित परिवार को शीघ्र न्याय मिले और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।” राठौड़ ने कहा कि कस्बे में नशे के खिलाफ अभियान चलाने वाले वकील के साथ पुलिसकर्मियों ने पूर्व में भी बेरहमी से मारपीट की थी। पुलिस प्रताड़ना के कारण ही वकील को मजबूरन आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़ा। उन्होंने मांग की है कि पीड़ित परिवार को शीघ्र न्याय मिले और दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएं।
सुसाइड से पहले दोस्त को किया फोन-
पुलिस ने बताया कि वकील विजय सिंह झोरड़ ने सोमवार को अपने घर में फांसी लगाने से पहले एक अधिवक्ता मित्र को फोन किया था। झोरड़ के दोस्त ने तुरंत वकील की अध्यापक पत्नी को फोन कर इसकी जानकारी दी, जिसके बाद वह घर पहुंची तो विजय सिंह फांसी के फंदे पर लटके मिले। इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। घटना की सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और शव को अपने कब्जे में लेकर जिला अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया। इसके बाद परिजनों ने शव लेने से इनकार कर दिया था।
5 पुलिसकर्मियों पर आरोप-
वकील के परिजनों ने आरोप लगाया कि जब से झोरड़ ने इलाके में अवैध नशीले पदार्थ के खिलाफ आंदोलन शुरू किया था, तब से पुलिस उसे परेशान कर रही थी। उन्होंने पुलिस पर मारपीट का भी आरोप लगाया। वकील की पत्नी ने घड़साना के थानाधिकारी मदन लाल और पांच अन्य पुलिसकर्मियों पर उनके पति को परेशान करने का आरोप लगाया है। पुलिस के अनुसार परिजनों को समझाने की कोशिश की जा रही है और मामले की जांच जारी है।
घटना को लेकर बेनीवाल ने साधा निशाना
वहीं नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी ट्वीट कर गहलोत सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि श्रीगंगानगर जिले के घड़साना में घड़साना बार संघ के पूर्व अध्यक्ष अधिवक्ता विजय सिंह झोरड़ द्वारा आत्महत्या कर लेने का दु:खद प्रकरण संज्ञान में आया है. आरएलपी अधिवक्ता के परिजनों के साथ है।
पुलिस प्रशासन से प्रताड़ित हो कर सीकर में वकील द्वारा की गई आत्महत्या का मामला क्या था?
आप जानते ही है हाल ही में राजस्थान के सीकर जिले में भी एक वकील ने सरकार में फैले प्रशासनिक भृष्टाचार से दुखी होकर खुद को आग लगाकर आत्महत्या कर ली थी। आत्महत्या करने वाले वकील का सुसाइड नोट वायरल होने पर पता चला था की जिले का एसडीएम ही उस वकील को लगातार मानसिक रूप से परेशान कर रहा था।
जानकारी के अनुसार रिश्वतखोरी से परेशान होकर वकील ने यह कदम उठाया। वकील ने खुद को आग लगा ली। जिसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया। जहां जयपुर में इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया।
वकील के पास से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है। सुसाइड नोट में वकील ने एसडीएम और एसएचओ पर उसे हत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया है। वहीं दोनों ही भृष्ट और चोर टाइप के अधिकारी इन आरोप को सिरे से नकार रह हैं।
एसडीएम हर सुनवाई पर मांगते थे रिश्वत
वहीं मृतक वकील के भाई के अनुसार जब मृतक घर से हर रोज की तरह निकला था तो उसके पास कोई पेट्रोल की बोतल नहीं थी। वहीं दोपहर के समय उसे एसडीएम कोर्ट में उनके सुसाइड करने की सूचना मिली। सूचना मिलते ही वह अस्पताल पहुंचा और वीडियो बनाया।
यहां मृतक वकील ने बताया था कि उसे एसडीएम ने सुसाइड के लिए उकसाया है। साथ ही यह आरोप भी लगाया कि एसडीएम हर केस की सुनवाई के लिए उससे पैसे मांगते थे। इसके साथ ही एसएचओ पर भी धमकाने का आरोप लगाया।
जाने क्या है पूरा मामला
जानकारी के अनुसार रानौली थाना क्षेत्र के नांगल अभयपुरा का एक पिछले करीब 10 साल से वकालत कर रहा था। वहीं गुरुवार को दोपहर के समय वकील एसडीएम कार्यालय पहुंचा। जहां एसडीएम अपने कार्यालय में बैठे थे। इसी दौरान वकील ने खुद को आग लगा ली।
वकील ने इस दौरान एसडीएम को भी पकड़ना चाहा। लेकिन एसडीएम ने उसे अपनी तरफ आता देख लिया था। जिसके चलते वह पहले ही पिछे हो गए। इस हादसे में वकील गंभीर रूप झुलस गया। जिसके बाद उसे खंडेला अस्पताल ले जाया गया। लेकिन हालत गंभीर होने के कारण उसे जयपुर रेफर कर दिया गया। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी।
ऐसे ही कई मामले हमारे देश में रोज़ सामने आ रहे है, जिसमे कही प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस, बिल्डर्स या कोई और आम गरीब जनता का शोषण करने में लगे हुए है, जिसके कारण एक आम इंसान मज़बूरी में आत्महत्या करने या अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए हथियार उठाने को अब मज़बूर हो चूका है।
ऐसे ही कई मामले हमारे देश में रोज़ सामने आ रहे है, जिसमे कही प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस, बिल्डर्स या कोई और आम गरीब जनता का शोषण करने में लगे हुए है, जिसके कारण एक आम इंसान मज़बूरी में आत्महत्या करने या अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए हथियार उठाने को अब मज़बूर हो चूका है।