जनजातीय वोटरों को साधने के लिए सब मानगढ़धाम के भक्त क्यों बन गए?
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जनजातीय वोटरों को साधने के लिए सब मानगढ़धाम के भक्त क्यों बन गए?

  बांसवाड़ा/राजस्थान।। राजस्थान मध्यप्रदेश गुजरात व महाराष्ट्र इन चारो राज्यों की सरकारों की नज़र आजकल मानगढ़ धाम के पर टिकी हुई है। सभी राजनितिक पार्टिया मानगढ़ धाम के सहारे ही अपनी आगामी चुनावों में अपनी राजनैतिक कश्ती को पार लगाना चाहते है, हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मनगढ़धाम पहुंचकर यह बात साबित कर दी है कि चुनावों में अब मानगढ़धाम जनजातीय वर्ग को साधने के दृष्टिकोण से कितना महत्वपूर्ण है। वही भारतीय ट्रायबल पार्टी बिटीपी ने इस को लेकर सवाल उठाए है। बीटीपी ने कहा कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियां नहीं चाहतीं की मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा मिले। बीटीपी ने मनगढ़धाम पर मोदी की सभा को लेकर आरोप लगाते हुए कहा कि शहिदों की शहादत स्थली को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आखिरकार क्यों नहीं किया राष्ट्रीय स्मारक घोषित? राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तथा अपनी ही पार्टी भाजपा की मांग पर क्यों नहीं लगाई मानगढ़ धाम पर राष्ट्रीय स्मारक की मौहर?  
  भारतीय ट्रायबल पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य विजय भाई मईडा ने प्रेस नोट के माध्यम से बताया कि पिछले कई दिनों से मानगढ़ धाम सुर्ख़ियों में चल रहा था की आदिवासियों की शहादत भूमि को 1 नवंबर को सम्मान मिलेगा। देश के आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आदिवासी राष्ट्रीय स्मारक घोषित करेंगे तथा बांसवाड़ा जिले को दिल्ली जयपुर और कोटा से सीधे रेल लाइन से जोड़ेंगे। इस बात का भी चारों राज्यों के आदिवासी क्षेत्रों में चर्चा का विषय बना हुआ था की आदिवासियों की अपार श्रद्धा मानगढ़ धाम से जुड़ी हुई है। 17 नवंबर 1913 में 1500 से अधिक आदिवासी यहाँ शहीद हुए वह आज तक गुमनाम है, जिन्हें सम्मान मिलेगा इस पर आस लगाए बैठे आदिवासी समाज के साथ आज खिलवाड़ किया गया। उनकी जनभावनाओं के साथ धोखा हुआ है।
 
  मईड़ा ने कहा कि मोदी ने अपने संबोधन में आदिवासियों की तारीफ करते नहीं थके लेकिन असल मुद्दों से आदरणीय प्रधानमंत्री जी जानबूझकर भटक गए तथा चारों राज्यों के आदिवासी समाज के प्रमुख मुद्दे पांचवी छठी अनुसूची, पेसा एक्ट, और भील प्रदेश की मांग के मुद्दों को तो उन्होंने सीधे ही अनदेखा कर दिया, जिस मुद्दे को लेकर यहा के भाजपा और कांग्रेस के नेताओं द्वारा आदिवासी समाज की भीड़ को जुटाया था उसे भी नजरअंदाज कर दिया गया। तीनों प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के द्वारा मंच से मांग करने के बावजूद मानगढ़ धाम को आदिवासी राष्ट्रीय स्मारक घोषित नहीं किया जाना आदिवासियों के साथ एक सौतेला व्यवहार सा है। साथ ही राजस्थान मध्य प्रदेश मैं आए दिन एसटी-एससी समाज के साथ अन्याय व अत्याचार बढ़ रहा है और कई घटनाएं भी घटित हो चुकी है किसी एक भी घटना पर संवेदना प्रकट नहीं की गई। चारों राज्यों में ओबीसी समाज भी बहुत पिछड़ा हुआ है जिसका ना जिक्र हुआ और ना ही प्रथक से जनगणना कराने एवं आयोग गठित करने पर कोई चर्चा की गई। साथ ही चारों राज्यों के लाखों आदिवासियों को विकास के नाम पर बेदखल कर विस्थापित किया जा रहा है, उनकी मूल संस्कृति जल, जंगल और जमीन से जुड़ी हुई है, उसका विनाश किया जा रहा है उनके संवैधानिक अधिकार खतरे में है। आदिवासी क्षेत्र की जनता बेरोजगारी, महंगाई, और भ्रष्टाचार से परेशान हैं किसान, नौजवान, महिलाएं, कामगार मजदूर, पिछड़े तबके के लोग अर्थात हर वर्ग त्रस्त है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में निवास करने वाला आदिवासी एक नई और सकारात्मक राजनीति की ओर अग्रसर है, जिसका आने वाले समय में बहुत बड़ा बदलाव होगा। आदिवासी क्षेत्र की जनता समझ चुकी है जिसका करारा जवाब आने वाले समय में भाजपा और कांग्रेस को अवश्य मिलेगा। बता दे कि रेल के खेल में 200 करोड़ रूपये अभी तक हज़म कर लिए गए है, लेकिन मौके पर रेल जैसी कोई खिलौना गाड़ी भी कही नज़र नहीं आती है। वही गहलोत और मोदी की नज़दीकिया कांग्रेस और भाजपा के लिए आओ दोनों मिलकर खाएं की नीति को प्रदर्शित करती है। 
 बीटीपी राष्ट्रीय संरक्षक माननीय छोटू भाई वसावा बीटीपी केंद्रीय कार्यालय वाइट हाउस चंदेरिया गुजरात से राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के आदिवासियों को मानगढ़ धाम पर यह वीडिओ संदेश जारी किया गया।  

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