रणधीर सिंह का विधायक पर बड़ा आरोप कहा "पैरवी नहीं की इसलिए भीण्डर नहीं बन सका जिला"
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रणधीर सिंह का विधायक पर बड़ा आरोप कहा "पैरवी नहीं की इसलिए भीण्डर नहीं बन सका जिला"

जनता सेना संरक्षक व पूर्व विधायक रणधीर सिंह भीण्डर ने की प्रेसवार्ता
कांग्रेस सरकार किसान विरोधी, गहलोत की घोषणाओं को बताया थोथी
  उदयपुर/राजस्थान।। जनता सेना संरक्षक व वल्लभनगर के पूर्व विधायक रणधीर सिंह भीण्डर ने मंगलवार को भीण्डर राजमहल में प्रेसवार्ता की। जिसमें कांग्रेस सरकार व वल्लभनगर विधायक को आड़े हाथों लिया। भीण्डर ने कहा कि विधायक ने पैरवी नहीं की इसलिए भीण्डर जिला नहीं बना सका, अन्यथा भीण्डर जिला बनने के लिए सभी मापदण्डों पर खरा उतर रहा था। प्रेसवार्ता के दौरान भीण्डर पंचायत समिति प्रधान हरिसिंह सोनीगरा, भीण्डर नगर पालिका अध्यक्ष निर्मला भोजावत, प्रदेश महामंत्री प्रभाशंकर शर्मा, जिला महामंत्री पारस नागौरी भी उपस्थित थे।
 
  राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की सरकार वर्ष 2018 से सत्ता में काबिज है। जिन्होंने किसानों से झूठ बोलकर बरगलाकर सत्ता हासिल की, कि हम सत्ता में आयेंगे तो आपके कृषिगत बैंक ऋण माफ करेंगे। लेकिन सरकार के साढ़े चार वर्ष गुजर जाने के बाद भी उस वादे पर अमल नहीं करके किसानों के साथ धोखा किया है। अभी भी किसानों की फसलों की बर्बादी पर कांग्रेस सरकार कोई मदद या मुआवजा नीति की घोषणा नहीं कर रही है। वहीं किसानों के लिए गठित सरकारी समितियों में कर्ज मुक्त ऋण पर ब्याज वसूला जा रहा है। किसानों की जमीनों की जमाबंदीयों को डिजिटलाइजेशन के नाम पर गलत नामों पर चढ़ा दी या छोड़ दी है। इसके कारण लोग विभागों में भटकने को मजबूर है। इससे साफ जाहिर होता हैं कि ये सरकार किसान विरोधी नीति पर चल रही हैं और किसानों का कोई फायदा नहीं करने वाली।
  कांग्रेस की यह नाकारा सरकार राज्य के लोगों का विकास नहीं करके पूर्व की भाजपा सरकार द्वारा चलाई गई लोक कल्याणकारी योजनाओं के नाम इनके परिवार के नामों पर रख कर जनता को बेवकुफ बनाने का काम किया है। लेकिन जनता अब इनके झूठे वायदों को समझ चुकी हैं और आगामी चुनावों में इनको जवाब देगी। यहीं नहीं ये लोग सरकारी खजाने से अपने कार्यकर्ताओं को युवा मित्र, महात्मा गांधी सेवक के नाम पर पंजीकृत कर वेतन-भत्तों का भुगतान कर रही हैं जो अवैधानिक है।
  यहीं नहीं उदयपुर जिले का सबसे बड़ा कस्बा भीण्डर जिसके लिए जनता सेना द्वारा जिला बनाने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा था, जिसमें जिला बनने के मापदण्ड पर पूरा खरा उतरता है। लेकिन क्षेत्रीय विधायक द्वारा ढंग से पैरवी नहीं कर पाने की वजह से प्रदेश में दो दर्जन जिलों की घोषणा में भीण्डर को जिले की सौगात मिलना रह गई। विधायक सिर्फ जाति-उपजातियों की राजनीति और तानाशाही नेतागिरी करके लोगों को भ्रमित करने में व्यस्त है।
  बिजली के नाम पर किए जा रहे भ्रामक प्रचार में 100 यूनिट निशुल्क बिजली की झूठी घोषणा और वाहवाही लूटी जा रही है। जबकि घरेलू उपभोक्ताओं को पूरे महीने में 100 यूनिट बिजली तक मिल नहीं पा रही हैं तो उपभोग क्या करेगा।
  साथ ही विधायक के निर्देशों पर विभागीय कर्मचारी विपक्ष के जनता सेना कार्यकर्ताओं के झूठे चालान बनाकर 20 से 25 हजार रूपयों के नोटिस भेज वसुली की जा रही है। ये उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी है।
थोथी घोषणाएं -
-विधानसभा में पूरानी सड़कों को ही पुनः नई बताकर स्वीकृत करवाया।
-भीण्डर में 100 बेड हॉस्पिटल की आज भी सुविधा उपलब्ध नहीं हुई है।
-कानोड़ हॉस्पिटल को मॉडल हॉस्पिटल बनाने की घोषणा के बाद अभी तक कोई बदलाव नहीं हुआ।
-कानोड़ में आईटीआई की घोषणा केवल एक साइन बोर्ड के अलावा कुछ नहीं।
-कांग्रेस सरकार के 5 वर्ष पूर्ण होने आएं लेकिन अभी तक कानोड़ तहसील भवन का निर्माण नहीं हो सका।
-कई पंचायतों में खेल मैदान की केवल घोषणा, धरातल पर अभी तक कुछ नहीं हुआ।
-भीण्डर-कानोड़ नगर पालिका में सिवरेज स्कीम की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक उस पर भी कोई काम नहीं हुआ। ये घोषणा भी थोथी साबित हुई।
जनप्रतिनिधियों की अवहेलना
  विधायक ने कई उद्घाटन एवं शिलान्यास स्थानीय सरपंच, प्रधान, उपप्रधान, नगर पालिका अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व पार्षदों की गैर मौजुदगी में किये जबकि राज्य सरकार ने स्पष्ट आदेश दे रखे हैं कि जनप्रतिनिधियों को हर कार्यक्रम में बुलाया जाएं।
  प्रधान ने जब एक पंचायत में उद्घाटन किया तो उस सरपंच के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए अधिकारियों पर दबाव बनाया। आकोला में प्रधान का स्वंय का चुनाव क्षेत्र होने के बावजुद हाल ही में किये गये उद्घाटन कार्यक्रम में नहीं बुलाया।
  उद्घाटन शिलापट्टिकाओं पर जनप्रतिनिधियों के बजाएं कांग्रेस कार्यकर्ताओं के नाम लिखे जाते है। जैसा कि अभी खेरोदा में स्पष्ट उदाहरण है। ऐसे कई अन्य जगह भी होगा।
भीण्डर में कॉलेज की घोषणा
  सरकारी कॉलेज की घोषणा भीण्डर नगर के नाम से हुई। नगर पालिका ने अपने क्षेत्र में भूमि उपलब्ध करवाने की स्वीकृति भी दी। इसके बावजुद विधायक ने कॉलेज को एक पंचायत क्षेत्र में निर्माण करवाया जो कि कानोड़ तहसील क्षेत्र में है। इसी तरह एसडीएम कार्यालय, एडीजे कोर्ट को भी वहीं ले जाने का निर्णय किया जा रहा है। इसका प्रमुख कारण हैं वर्तमान विधायक के बिजनेस पार्टनर भेरूलाल सालवी की जमीन का भाव बढ़ाना। जबकि चिन्हित जमीन भीण्डर नगर से 4-5 किमी दूर है। जियमें बालिकाएं किस तरह वहां जायेगी ये नहीं सोचा गया।
सर्जन को रोकने की हठधर्मिता
  भीण्डर हॉस्पिटल में सुविधाओं के अभाव सर्जन की नियुक्ति के लिए जनता सेना ने धरना प्रस्तावित किया था, जिस पर प्रशासन ने सर्जन को पुनः भीण्डर लगा दिया। परन्तु विधायक ने एक कार्यक्रम में मंच से कहा कि चाहे उन्होंने आदेश निकलवा दिया हो परन्तु मैं उसे आने नहीं दूंगी। ये कैसी मानसिकता हैं कि जनता की मांग पर लगाएं गये सर्जन को अपनी जिद्द के चलते नहीं लगने दे रही है। जबकि सर्जन से क्षेत्र के सैकड़ों मरीजों को बेहतर इलाज मिला है।
अधिकारियों पर दबाव की राजनीति
  विधायक के अब तक के कार्यकाल में अधिकारियों को केवल उनकी स्वयं की पार्टी के अलावा और किसी का भी कार्य नहीं करने के लिए पाबंध किया जाता है। जो कर्मचारी कांग्रेस कार्यकर्ता बनकर विधायक के साथ घूमते है। शिकायत के बावजुद कोई कार्यवाही नहीं की जाती है। जैसा कि जगदीश अहीर।
  प्रधान की बगैर अनुंशसा के विकास अधिकारी कांग्रेसी सरपंचों के काम की स्वीकृति कर देते है। यहीं नहीं रोज के विकास संबंधी कार्यों का लेखा-जोखा भी प्रधान द्वारा बार-बार मांगने के बाद भी उपलब्ध नहीं करवाया जाता है।
  इसी तरह नगर पालिका क्षेत्र में बार-बार ईओ बदला जाता हैं व कई काम नगर पालिका क्षेत्र में बगैर अध्यक्ष-उपाध्यक्ष की जानकारी के ईओ द्वारा विधायक के दबाव में करवा दिये जाते है। जैसे कि कुछ समय पूर्व अतिक्रमण हटाने का कार्य हुआ जिसकी जानकारी बोर्ड को नहीं दी गई।
  यहीं नहीं अधिकारियों पर दबाव बनाकर कांग्रेस पार्टी के कार्यक्रमों में बुलाया जाता है व उनके मंच पर बिठाकर भाषण तक दिलाएं जाते है। उदाहरण के लिए होली मिलन समारोह व अड़िंदा सम्मेलन आदि। 
पत्रकारों को धमकाना
  विधायक के खिलाफ कोई भी न्यूज लिखने पर विधायक द्वारा अधिकारियों को कह कर पत्रकारों पर दबाव बनाया जाता है कि वो आगे ऐसी जरूरत ना करें।
विरासत को कर रहे हैं खत्म
  मेनार में रियासतकालीन डाक बंगला हैं जिसकी जगह पर ट्रोमा सेंटर का निर्माण किया जा रहा है। जनता सेना के विरोध के बावजुद विधायक अपनी जिद्द पर अड़ी हुई है। जबकि सरकार विरासत के संरक्षण का पिछले चार वर्षों से बात करती आ रही है।
सड़कों का हो रहा हैं घटिया निर्माण
  इन विधायक के बनने के बाद विधानसभा क्षेत्र में जो भी सड़कंे बनी हैं वो बहुत ही घटिया बनी है। कई सड़कें निर्माण होने के कुछ समय बाद ही उखड़ गई। इसका प्रमुख कारण हैं सड़क निर्माण करने वाले ठेकेदार कार्य कर रहे हैं वो विधायक के करीबी लोग है। इस कारण घटिया निर्माण होने के बावजुद पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारी उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर पा रहे है।
  कानोड़ में तहसील की घोषणा तो पिछली सरकार में हो गई थी। परन्तु भवन निर्माण तो दूर इसके लिए अभी तक जमीन चयन भी नहीं हो पाया है।
बिजली की थोथी घोषणाएं
  सरकार बिजली के लिए कभी 100 यूनिट कभी 200 यूनिट निशुल्क देने की बात करती है। परन्तु अभी तक इसका लाभ किसी को मिला नहीं है।
  किसानों को 2000 यूनिट प्रतिमाह फ्री बिजली देने की घोषणा की, परन्तु उसमें भी नगर पालिका क्षेत्र में किसानों को वंचित रखा गया है। विधायक के दबाव में किसानों के डिमाण्ड जमा होने के बावजुद कनेक्शन उन्हीं को दिया जाता हैं जो कांग्रेस के कार्यकर्ता है। जनता सेना के कार्यकर्ताओं के खिलाफ तो बिजली चोरी का आरोप लगाकर भारी वीसीआर बना दिया जाता है।
 विधायक ने पंचायत समिति व नगर पालिका को सीधे सरकार द्वारा मिलने वाले बजट पर रोक लगा दी है। राज्य सरकार ने पिछली सरकार की योजनाओं का नाम बदलने के अलावा कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं किया। जैसे अन्नपूर्णा योजना, भामाशाह योजना का नाम बदला गया।
-अन्नपूर्णा का नाम इन्दिरा रसोई योजना
-भामाशाह बीमा का चिंरजीवी बीमा
-भामाशाह कार्ड का जनआधार
  पिछली सरकार में जो योजनाएं पाइपलाइन में थी उनको आगे बढ़ाने का कार्य विधायक द्वारा जानबुझकर नहीं किया गया। जैसे - कसोटिया बांध, भीण्डर में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कार्यालय, एसीएफ कार्यालय भीण्डर, पुलिस चौकी लूणदा, सिहांड़, सवना, नायब तहसील कार्यालय बाठेड़ाकला व अभी जो भीण्डर जिले की मांग थी, उसके लिए भी कोई पैरवी नहीं की। जबकि मुख्यमंत्री ने कहां कि विधायकों की मांग पर और जिले बनाये जायेंगे।खेरोदा में पीडब्ल्यूडी एईएन कार्यालय व कनिष्ठ अभियंता कार्यालय विद्युत विभाग की पिछले राज में खुल गये, परन्तु भवन अब तक नहीं बनवायें गये। जिन गांवों में 80 प्रतिशत अधिक आबादी जनजाति की हैं उनको जनजाति उपयोजना के तहत पंजीकृत नहीं करवाया गया।

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