अपनी लगन और
हिम्मत से अपना मुकाम हासिल करने वाली शिल्पी गुप्ता बिहार के नवादा जिले
के खगड़िया की रहने वाली हैं। 2006 में शिल्पी ने फर्स्ट डिविजन से दसवीं
की परीक्षा पास की थी। वह आगे पढ़ना चाहती थी। लेकिन उनकेे पापा इसके लिए
तैयार नहीं थे। पिता ने दसवीं से आगे की पढाई करने से रोक दिया था।
पढाई रोककर कर देना चाहते थे शादी
वे जल्द से जल्द उनकी शादी कर देना चाहते थे और उसकी शादी भी तय कर दी थी। लेकिन दहेज की भरपाई नही कर पाए इसलिए शादी टूट गई। तब शिल्पी बमुश्किल 16 साल की थी। अपनी धुन की पक्की शिल्पी ने घर में विद्रोह कर इंटर की परीक्षा पास की और इसके बाद जब उन्होंने जेएनयू में एडमिशन के लिए इंट्रेंस एग्जाम दिया और वे सफल हुई।
पढाई के लिए घर में हुआ जमकर विरोध
शिल्पी ने जब घर में ग्रैजुएशन की पढ़ाई की बात की तो सबने इसका जमकर विरोध किया। लेकिन सबके विरोध के बाद भी अपनी जिद से वह ग्रैजुएशन की पढ़ाई के लिए दिल्ली पहुंच गई। यहां स्काॅलरशिप के चार हजार रुपए मिले। उनकी फैमिली को लगा कि जब पैसे खत्म हो जाएंगे तो वह वापस लौट आएगी। लेकिन शिल्पी ने हिम्मत नहीं हारी।
दिल्ली में उन्होंने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया, पैसे जोड़े और दिल्ली में ही जम गई। फिर शिल्पी ने स्पेनिश लैंग्वेज से पीजी तक पढ़ाई की। फिर एम फिल की। तभी यूनिवर्सिटी आॅफ ग्रेनाडा ने रिसर्च के लिए विश्व स्तर पर 100 लोगों को चुना। इनमें दस का आखिरी रूप से चयन हुआ, जिसमें शिल्पी भी है।
वुमन एंड जेंडर स्टडी पर करेंगी रिसर्च
यूनिवर्सिटी आॅफ ग्रेनाडा ने यूरोपियन मास्टर्स डिग्री इन वुमन एंड जेंडर स्टडीज के लिए शिल्पी का चयन किया है। शिल्पी को दो साल में 49 हजार यूरो (करीब 40 लाख रुपए) की स्कॉलरशिप मिली है। पहले साल स्पेन में स्टडी करेगी। फिर रिसर्च के लिए शिल्पी कई यूरोपीय देश जाएगी। इसमें स्पेन, इटली, हंगरी, यूके, पोलैंड, नीदरलैंड और न्यूजर्सी यूनिवर्सिटी आॅफ ग्रेनाडा के पार्टनर है।
पढाई रोककर कर देना चाहते थे शादी
वे जल्द से जल्द उनकी शादी कर देना चाहते थे और उसकी शादी भी तय कर दी थी। लेकिन दहेज की भरपाई नही कर पाए इसलिए शादी टूट गई। तब शिल्पी बमुश्किल 16 साल की थी। अपनी धुन की पक्की शिल्पी ने घर में विद्रोह कर इंटर की परीक्षा पास की और इसके बाद जब उन्होंने जेएनयू में एडमिशन के लिए इंट्रेंस एग्जाम दिया और वे सफल हुई।
पढाई के लिए घर में हुआ जमकर विरोध
शिल्पी ने जब घर में ग्रैजुएशन की पढ़ाई की बात की तो सबने इसका जमकर विरोध किया। लेकिन सबके विरोध के बाद भी अपनी जिद से वह ग्रैजुएशन की पढ़ाई के लिए दिल्ली पहुंच गई। यहां स्काॅलरशिप के चार हजार रुपए मिले। उनकी फैमिली को लगा कि जब पैसे खत्म हो जाएंगे तो वह वापस लौट आएगी। लेकिन शिल्पी ने हिम्मत नहीं हारी।
दिल्ली में उन्होंने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया, पैसे जोड़े और दिल्ली में ही जम गई। फिर शिल्पी ने स्पेनिश लैंग्वेज से पीजी तक पढ़ाई की। फिर एम फिल की। तभी यूनिवर्सिटी आॅफ ग्रेनाडा ने रिसर्च के लिए विश्व स्तर पर 100 लोगों को चुना। इनमें दस का आखिरी रूप से चयन हुआ, जिसमें शिल्पी भी है।
वुमन एंड जेंडर स्टडी पर करेंगी रिसर्च
यूनिवर्सिटी आॅफ ग्रेनाडा ने यूरोपियन मास्टर्स डिग्री इन वुमन एंड जेंडर स्टडीज के लिए शिल्पी का चयन किया है। शिल्पी को दो साल में 49 हजार यूरो (करीब 40 लाख रुपए) की स्कॉलरशिप मिली है। पहले साल स्पेन में स्टडी करेगी। फिर रिसर्च के लिए शिल्पी कई यूरोपीय देश जाएगी। इसमें स्पेन, इटली, हंगरी, यूके, पोलैंड, नीदरलैंड और न्यूजर्सी यूनिवर्सिटी आॅफ ग्रेनाडा के पार्टनर है।