पहली अपग्रेडेड आर्टीलरी गन शारंग देश को समर्पित, 36 km तक है मारक क्षमता
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पहली अपग्रेडेड आर्टीलरी गन शारंग देश को समर्पित, 36 km तक है मारक क्षमता

   लखनऊ।। वर्षों पहले आयात की गई 130 एमएम गन की चेसिस को ही इस्तेमाल करते हुए आर्डनेंस फैक्ट्री कानपुर ने 155 एमएम आर्टीलरी गन विकसित कर ली है। इस गन की टेस्टिंग जबलपुर आर्डनेंस फैक्ट्री ने पूरी कर ली है। टेस्टिंग में सफल होने के बाद डिफेंस एक्सपो में शुक्रवार को अपग्रेड आर्टीलरी गन शारंग को देश को समर्पित कर दिया। सेना में शामिल होने से पहले ही शारंग का डिस्प्ले डिफेंस एक्सपो में आर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड के स्टॉल पर किया गया है, जहां शारंग को देखने वालों की खासी भीड़ जुट रही है।
     भारत ने 130 एमएम गन को रूस से आयात किया था। गन में 130 एमएम बैरल लगी थी। इस गन की मारक क्षमता 27 किलोमीटर थी। आर्डनेंस फैक्ट्री कानपुर ने शारंग की 130 एमएम बैरल को अपग्रेड कर दिया। उसकी चेसिस 130 एमएम की ही रखी गई, जबकि फैक्ट्री ने इसकी बैरल 155 एमएम की कर दी। अब इस आर्टीलरी गन की मारक क्षमता 36 किलोमीटर हो गई है। इंडियन आर्डनेंस फैक्ट्री कानपुर के जीएम एएन श्रीवास्तव ने बताया कि शारंग की बैरल क्षमता बढऩे का सीधा असर इसकी फायर पावर पर पड़ा है। पहले से अधिक विस्फोटक के कारण शारंग का किलिंग एरिया भी बढ़ा है।
 व्  आर्डनेंस फैक्ट्री कानपुर और यहीं की फील्ड गन फैक्ट्री से बैरल व चेसिस को जबलपुर आर्डिनेंस फैक्ट्री भेजा गया था। जहां दोनों को इंटीग्रेट कर शारंग की टेस्टिंग की गई है। चार साल में 300 शारंग आर्टीलरी गन को बनाया जाएगा। भारतीय सेना की आर्टीलरी शक्ति को शारंग और मजबूत करेगी। आर्डनेंस फैक्ट्री कानपुर ने बोफोर्स तोप की भी बैरल तैयार कर उसे स्वीडन की कंपनी को सौंपा है। हालांकि अभी ऑर्डर की प्रक्रिया एडवांस स्टेज पर है।
ये है खासियत
पहले
130 एमएम गन को रूस से आयात किया था
130 एमएम बैरल पहले गन में लगी थी
27 किलोमीटर थी इस गन की मारक क्षमता 
अब
130 एमएम बैरल को फैक्ट्री ने अपग्रेड किया
155 एमएम कर दिया फैक्ट्री ने इसकी बैरल 
36 किलोमीटर हो गई गन की मारक क्षमता

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