हाल ही में भारत सरकार ने सब राज्य को ब्लैक फंगस को लेकर एपिडेमिक की घोषणा करने के लिए आदेश जारी कर दिए हैं और कुछ राज्य जिनमें यह ज्यादा फैल रहा है उन्होंने यह घोषणा कर भी दी है, कुछ एक से अब ब्लैक फंगस का आंकड़ा हजारों में बढ़ चुका है। आज इन दोनों के बारे में बता रहे हैं....
फंगस क्या होता है?
आप ने कभी अपने घरों में देखा होगा कि सर्दियों के दिनों में अगर आपका तोलिया अधिक समय तक गीला रहता है तो उसमें कहीं कहीं काले रंग के धब्बे पड़ जाते हैं जिन्हें कितना भी धोया जाए वह जाते नहीं है, यह एक प्रकार के फंगस जो आप अपने घर में बाथरूम या ऐसे जगह भी देख सकते हैं जहां नमी रहती है इनका सबसे बड़ा खतरा यह रहता है कि यह फंगस वातावरण में spores छोडती है जो आप सांस, खाने आदि के साथ शरीर के अंदर ले लेते हैं और अगर आप के घर में कोई व्यक्ति जो पहले से सांस सम्बंधित किसी रोग जैसे अस्थमा, एलर्जी आदि से पीड़ित हैं उन्हें बहुत परेशानी होती है, इसे सरदर्द होना, खांसी, आंखों में खुजली, निमोनिया, साइंसेस आम बात है। आप सोच भी नहीं सकते कि यह आफके तोलिया या बाथरूम में हरी, काली, या अन्य रंगों मे मौजूद फंगस के कारण हो रही है। इसके अलावा आप अपने फलों और सब्जियों पर भी सफ़ेद या अन्य रंगों में भी फंगस, शरीर में देखें नाखुनो, त्वचा आदि पर देख सकते हैं।
➡️जो हजारों तरह की होती है। सबसे महत्वपूर्ण है कि यह भोजन, और कुछ महत्वपूर्ण औषधीय गुणों के साथ मनुष्य के लिए घातक भी हैं।
➡️90% हम इनके बारे में नहीं जान पाए हैं केवल कुछ हद तक।
➡️एक फंगस तो इतनी शक्तिशाली है जो प्लास्टिक को खत्म कर सकती है वो भी बड़े ही कम समय में, इनका जीवन प्रक्रिया कुछ अजीब रही है इसलिए समझ पाना विज्ञानियों के लिए मुश्किल भरा रहा है।
➡️यह हवा, पानी, मिट्टी और खाने तक में मौजूद रहने वाले जीव है।और बिल्कुल वैसा ही एक फंगस है।
➡️म्यूकरमाइकोसिस जिसे ब्लैक फंगस कहा जाता है।
➡️यह पहले भी वातावरण में मौजूद हैं लेकिन अब यह खास कारणों से चर्चा का विषय बनी हुई है इनके केस संभवता कोरोना से ठीक हुए रोगियों में ज्यादा देखे जा रहे हैं।
➡️जिसमें इम्यूनिटी जोकि इस रोग के कारण कम हुई है इसके अलावा ऑक्सीजन सिलेंडर से इस फंगस के होने के कारण आदि बताएं जा रहें हैं।
➡️जिन रोगियों में इसे देखा जा रहा है उन्हें यह इंफेक्शन ऑक्सीजन सिलेंडर से यह इंजेक्शन जोकि साफ सफाई ना होने की वजह से हो रहा है, जिस मास्को एक पेशेंट पर इस्तेमाल किया जाता है उसे ही दूसरे पेशेंट को बिना किसी साफ सफाई के इस्तेमाल में लाने की वजह से भी एक से अधिक रोगियों को यह इंफेक्शन हो रही है।
➡️इसमें आक्सीजन सिलेंडर की पाईप में नमी के कारण पनपे की वजह बताया गया है।
➡️मास्क के बार बार इस्तेमाल से उसके अंदर नमी बनी जाती है जिससे भी यह पनप सकती है (लोग तो सर्जिकल मास्क को भी धोकर इस्तेमाल करते देखा है 😟हमने यह सही नहीं है क्योंकि इसके ऊपर एक एंटी वायरल कोटीग होती है जो इस्तेमाल के एक बार तक ही पर्याप्त समझ सकते हैं तो इसका बार-बार या धोकर इस्तेमाल करने का मतलब नहीं है)
चपेट में:—
➡️HIV , केंसर, डायबिटीज, ह्रदय या सांस के कैसे भी रोग जो आपकी इम्युनिटी पॉवर को कम करते हैं, स्टेरॉइड्स या अधिक एंटीबायोटिक दवा लेने वाले, लम्बे समय तक रोगग्रस्त रहे व्यक्ति उन में यह rare और खतरनाक फंगस ज्यादा नुकसानदेह है।
असर:—
➡️यह शरीर के ऊतकों पर असर करती है इसलिए सबसे अधिक भयावह स्थिति तो जन्म देती है।
➡️क्योंकि इसमें केवल उस जगह जहां यह फैला है उसे हटाया जाता है आंख , जबड़ा, दिमाग का वो हिस्सा जहां फैला हो आदि तो ध्यान देना बनता है।
➡️यह ENT, के साथ-साथ दिमाग, छाती आदि में असर दिखाता है, आंखों की रोशनी जाना, सरदर्द, लाल आंखें, आदि
➡️इसका इलाज में इस्तेमाल होने वाली एकमात्र विकल्प भी ज्यादा महंगा है और उपचार भी कई हफ्तों तक चल सकता है और अंग पर भी असर होगा तो अतियात बरतना जरूरी है।
पहचान:—
➡️अगर आंखों में परेशानी, सांस में दिक्कत, नाक बंद होना, जबड़े या दांत में दर्द, सरदर्द, जिभ के रंग में बदलाव, आदि लक्षण है तो जरूर से फंगस के लिए जांच करवाएं क्योंकि अधिकतर लोग समझ नहीं पा रहे और रौशनी जाने या ज्यादा खतर बढ़ जाने पर उपचार के लिए पहुंच रहे हैं।
वाइट फंगस:—
➡️अब एक और वाइट फंगस जो की ब्लैक से कहीं गुना ज्यादा भयावाह है भी आ चुकी है। एस्पायरग्लोसिस (Aspergillosis)
➡️यह उसे ज्यादा शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को जैसे त्वचा, किडनी, फेफड़े, जननांगों, नाखुनों आदि पर असर करती है।
➡️यह कोरोना रोगियों में अधिक देखी जा रही है जो टेस्ट में नेगेटिव आ रहे हैं पर लक्षण संक्रमण के दिखा रहे हैं क्योंकि इसके लक्षण कोरोना से मेल खाते है।
सावधानी:—
➡️उचित जांच और दवाईयां,
➡️सफाई, इम्युनिटी बूस्टर (नीम, हल्दी, शहद, आंवला),
➡️गर्म पानी, योग, विटामिन-मिनरल सप्लिमेंट्स, भरपूर नींद, आदि को अपनाकर खुद को रोगमुक्त रखें।
आने वाले समय में इसे भी अधिक भयनाक बीमारियां देखने मिलेगी और केवल आपका स्वास्थ्य ही आपका साथी होगा तो जरूर से समय दे खुद को।