कैप्टेन मूल्ला कौन थे और उन्होंने जल समाधि क्यों ली?
घटना साल 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध से संबधित है
हमारे देश में ऐसे वीर सुपूतो ने जन्म लिया है जो अपनी देश की रक्षा कर अपनी जान की बाज़ी तो लगाते ही है साथ में भारत माता के सम्मान के लिए एक भी ऐसा पल नहीं छोड़ते की वो आपने इन सपूतों पर गौरव महसूस करे। ऐसे ही एक देश रक्षक भारत माता की सपूत की गाथा आपको सुनाने जा रहे है। ये घटना साल 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध से संबधित है। 9 दिसंबर 1971 के दिन इंडियन नेवी का जहाज़ ‘INS खुकरी’ डूब गया था।
भारतीय नौसेना के दो जहाजों ‘INS कृपाण’ और ‘INS खुकरी’ को अरब सागर में एक ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तानी सबमरीन ‘PNS हंगोर’ को मार गिराने के निर्देश दिए गए थे। इस दौरान इन दोनों जहाज़ों के कमांडिंग अफ़सर महेंद्र नाथ मुल्ला ख़ुद INS खुकरी पर मौजूद थे।
9 दिसंबर 1971 की शाम 7:30 बजे के करीब पाकिस्तानी सबमरीन ‘PNS हंगोर’ धीमी रफ़्तार से भारतीय जहाज ‘INS कृपाण’ की ओर बढ़ रही थी, शाम 7:57 पर उसने अचानक ‘INS कृपाण’ पर टॉरपीडो फ़ायर कर दिया लेकिन टॉरपीडो फटने से पहले ही ‘INS कृपाण’ ने ऐंटी सबमरीन मोर्टार से उसे निस्तो नाबूत कर दिया था।
इसके बाद भारतीय सबमरीन ‘INS खुकरी’ भी दुश्मनों को जवाब देने के लिए तेज़ स्पीड के साथ पाकिस्तानी सबमरीन ‘PNS हंगोर’ की तरफ़ बढ़ने लगी. तभी हंगोर ने अपना दूसरा टॉरपीडो भी फ़ायर कर दिया जो सीधे ‘INS खुकरी’ के ऑयल टैंक में जा लगा. इस दौरान ‘INS खुकरी’ पूरी तरह से आग की चपेट में आगई और धीरे -धीरे समंदर की गहराईयों में डूबने लगी।
इस दौरान ‘INS खुकरी’ को डूबता देख कैप्टन महेंद्र नाथ मुल्ला ने अपने सभी नौ-सैनिकों को जहाज़ से बाहर निकलने के निर्देश दिए और इस बीच कैप्टन मुल्ला ने अपनी लाइफ़ जैकेट भी अपने नौ-सैनिक साथी को दे दी। इतनी मुश्किल घड़ी में भी वो अपनी कुर्सी पर बैठे अपने साथियों को बाहर निकलने के आदेश देते रहे। इसके बाद कैप्टन महेंद्रनाथ मुल्ला ने एक ऐसा बड़ा कदम उठाया जिससे वो देश भर में एक मिसाल बन गए और भारत माता को गदगद कर दिया इंडियन नेवी के कैप्टन महेंद्र नाथ मुल्ला ने दुश्मन के हाथों से मरना मंजूर नहीं था इसलिए उन्होंने जल समाधि लेने का निर्णय लिया और समंदर में डूब कर देश के लिए शाहिद हो गए।