छत्तीसगढ़ में एक जगह है जिसका नाम है मैनपाट. इसे छत्तीसगढ़ का शिमला भी कहा जाता है. मैनपाट में एक ऐसी जमीन है जिसके ऊपर उछलने पर वह स्पंज की तरह व्यवहार करती है. कूदने पर दबती है और फिर वापस अपने पुराने स्वरुप में आ जाती है. इस जगह पर बाकायदा छत्तीसगढ़ शासन का एक सूचना बोर्ड भी लगा हुआ है जिस पर लिखा है, “एक अजूबा, यहाँ धरती हिलती है. आप भी कूदकर धरती को हिलाएं और आनंद उठायें.”
मैनपाट की इस जमीन का ऐसा व्यवहार क्यों है इसके बारे में स्थानीय लोगों और वैज्ञानिकों के अलग अलग मत हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार कभी यहां जलस्त्रोत रहा होगा जो समय के साथ ऊपर से सूख गया और अंदर जमीन दलदली रह गई. वहीं वैज्ञानिक मानते हैं कि इस जमीन के नीचे पृथ्वी के आन्तरिक दवाब और पोर स्पेस (खाली स्थान) में पानी भरा हुआ है जिससे यह जगह दलदली और स्पंजी लगती है.
वजह जो भी हो, पर सैलानियों के लिए यह किसी अजूबे से कम नहीं. लोग यहाँ खूब उछल उछल कर जमीन को हिलाने का आनंद उठाते हैं. मैनपाट एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है जहाँ खूबसूरत वादियाँ और झरने हैं तथा मौसम ठंडा रहता है. यह अंबिकापुर से करीब 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहाँ तिब्बती शरणार्थी भी रहते हैं. 1959 में तिब्बत पर चीन के कब्जे के बाद भारत की जिन जगहों पर इन शरणार्थियों को बसाया गया था, उनमें से मैनपाट भी एक है.