3 मीटर ऊंचे शिवलिंग की पूजा करते थे 94 वर्षीय श्री कृष्ण भट्ट
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3 मीटर ऊंचे शिवलिंग की पूजा करते थे 94 वर्षीय श्री कृष्ण भट्ट

 Shri kransha Bhatt of Badvi Ling
  शिवमोग्गा/कर्नाटक।। 87 साल के व्यक्ति में ऐसी श्रद्धा, सादगी, दृढ़ संकल्प, समर्पण, कड़ी मेहनत, प्यार होना बहुत ही आश्चर्यजनक है। सभी को श्रद्धा का ऐसा भाव ऐसे महापुरुषों से सीखना चाहिए। ये हैं के.एन. कृष्णा भट्ट जी, जो दशकों से विश्व प्रसिद्ध हम्पी विरासत कर्नाटक स्थल में कम प्रसिद्ध बैदविलांग मंदिर (विजयनगर) में पुजारी थे। जानकारों का कहना है कि कृष्णा भट्ट जी वर्ष में सिर्फ दो बार ही अपने इस कार्य के लिए वेतन लेते थे। वह रोज़ाना कर्नाटक के हम्पी में 9 फीट अधिक लंबे "बदवी लिंग" (badavi linga) की सफाई और पूजा करते थे।
  उनके बारे में एक बड़ी बात यह है कि बहमनी सुल्तानों द्वारा 'विजयनगर' को नष्ट कर दिए जाने के बाद, 450 वर्षों तक जिस मंदिर में कभी पूजा नहीं की गई थी, उन्होंने 1980 के दशक में इस पूजा को फिर से शुरू किया था।
Shri kransha Bhatt of Badvi Ling
  श्री कृष्ण भट्ट का 25 अप्रैल 2021 को निधन हो गया था। भट्ट ने कर्नाटक के हम्पी में बादावी लिंग मंदिर में 40 साल तक पुजारी के रूप में सेवा की। विश्व हिंदू परिषद के सदस्य गिरीश भारद्वाज ने ट्विटर पर श्री कृष्ण भट्ट के निधन की खबर दी थी। ईश्वर के प्रति समर्पण और सनातन धर्म के प्रति समर्पण दिखाने के लिए उनकी तस्वीर को विभिन्न सोशल मीडिया मंचों में साझा किया गया था। इन तस्वीरों में श्री कृष्ण भट्ट को शिवलिंग की सेवा करते हुए देखा गया था। 
   94 वर्षीय श्री कृष्ण भट्ट कर्नाटक में शिवमोग्गा जिले के तीर्थहल्ली तालुक के एक गाँव से थे। उन्हें हम्पी के सत्यनारायण मंदिर में एक पुजारी के रूप में देखा गया था। बाद में उन्हें अंगुंडी शाही परिवार द्वारा हम्पी में बादावी लिंग मंदिर का पुजारी बनाया गया। भट्ट पिछले 40 वर्षों से लगातार मंदिर की सेवा कर रहे थे। वह शाम तक मंदिर में रहा करता था।
Shri kransha Bhatt of Badvi Ling
   बादावी के लिंग मंदिर और श्री कृष्ण भट्ट के बारे में सबसे खास बात यह थी कि भट्ट 3 मीटर ऊंचे शिवलिंग में चढ़ते थे और उसे साफ करते थे। मंदिर हमेशा पानी से भरा था और शिवलिंग की सफाई के लिए कोई सीढ़ी या कोई साधन नहीं था। ऐसी स्थिति में भट्ट शिवलिंग पर चढ़ जाते और वहां भस्म और विभूति आदि चढ़ाते थे। भक्तों ने भी इसे खुशी के साथ स्वीकार किया।
Shri kransha Bhatt at Hamppi
   हम्पी में विरुपाक्ष मंदिर के वरिष्ठ पुजारी शिव भट्ट ने न्यू इंडियन एक्सप्रेस के साथ चर्चा करते हुए कहा कि शिवलिंग पर चढ़ने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है। कोई इसे अशुद्धता से नहीं जोड़ सकता क्योंकि यह श्रद्धा और समर्पण से जुड़ा है। बदावी का लिंग मंदिर 15 वीं शताब्दी में विजयनगर के राय वंश द्वारा बनाया गया था।
  हम्पी के बादावी लिंग मंदिर के गर्भ गृह की छत में कई छेद हैं। ये छेद बहमनी के सुल्तानों के इस्लामी आक्र-मण के कारण बन गए थे। इस कारण 500 वर्षों तक मंदिर में पूजा नहीं हो सकी। मंदिर में पूजा 1980 के दौरान शुरू हुई थी। इन छेदों के कारण मंदिर के गर्भ गृह में सूर्य की रोशनी आती रहती है। इससे निकलने वाली लुभावनी धुंध मंदिर में भक्तों को आकर्षित करती है।

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