पुन: श्री कृष्ण का राज्य है आने वाला, परमात्मा शिव भगवान कर रहे है गुप्त कार्य
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पुन: श्री कृष्ण का राज्य है आने वाला, परमात्मा शिव भगवान कर रहे है गुप्त कार्य

 प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में मनाया श्री कृष्ण का हैप्पी बर्थडे
मध्यप्रदेश के रतलाम में भी पंडित दुर्गा शंकर ओझा द्वारा श्रीमद्भागवत गीता का किया गया पाठ
  जैसलमेर/राजस्थान।। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय जैसलमेर के द्वारा राजेंद्र प्रसाद कॉलोनी के भवन में मुख्य अतिथि ब्रह्मकुमारी मनीषा दीदी द्वारा श्री कृष्ण कन्हैया को फूलमाला पहनाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। 
Prajapita Brahmkumari Ishwariya Vishvvidhyalay
पुन: श्री कृष्ण का राज्य है आने वाला 
   ब्रह्मकुमारी मनीषा दीदी ने बताया कि अब निकट भविष्य में पुन: श्री कृष्ण का राज्य आने वाला है। कुछ ही समय पश्चात यह भारत स्वर्ग बनने जा रहा है। श्री कृष्ण का जन्म होने वाला है। क्योंकि शास्त्रों में बताया भी जाता है कि श्री कृष्ण का जन्म जब घनघोर बारिश हो रही थी। कलयुगी अंधेरी रात थी और पीपल के पत्ते पर तैरते हुए श्री कृष्णा आ रहे हैं। इसका आध्यात्मिक रहस्य है कि इस संसार रूपी वृक्ष का प्रथम पत्ता अथवा प्रथम राजकुमार श्रीकृष्ण ही बनते हैं। वही इस सतयुगी सृष्टि भारत देश के महाराजा बनते हैं। 
परमात्मा शिव भगवान का है गुप्त कार्य 
  भारत में फिर पुन: देवी-देवताओं का साम्राज्य स्थापित होता है तो अब निकट भविष्य में श्री कृष्ण राधे का ही राज्य आने वाला है। यह परमात्मा शिव भगवान का गुप्त कार्य है जो चल रहा है। इसीलिए कहा भी जाता है कि सभी द्वारपाल सो गए थे अर्थात सभी अज्ञान नींद में सोए हुए होंगे और कृष्ण का जन्म होता है। इस कलयुगी संसार में श्री कृष्ण का जन्म कब होता है कोई मनुष्य समझ नहीं पाते हैं और गुप्त रीति वह बड़े होकर अपनी द्वारिका की स्थापना करते हैं जो बिल्कुल ही गुप्त तरीके से शास्त्रों में भी बताया गया है।
कृष्ण भक्ति के जयकारों से गूंज उठा माहौल 
  श्री कृष्ण जन्माष्टमी शुक्रवार रात आम दिनों की तुलना में अलग ही माहौल नजर आया। भाइयो बहिनों भी कृष्ण भक्ति में भाव-विभोर हो गए। चहुुंओर कृष्ण भक्ति से संबंधित भजनों की गूंज माहौल में बनी रही। कृष्ण जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में रात को बारह बजते ही समूचा माहौल कृष्ण भक्ति के जयकारों से गूंज उठा। चहुंओर यशोदा के लालो भयो, जय कन्हैयालाल की, हाथी दीजे, घोड़ा दीजे और दीजे पालकी के जयकारे सुनाई देने शुरू हो गए।
Prajapita Brahmkumari Ishwariya Vishvvidhyalay
कृष्ण-राधा के बाल रूप धरे बच्चों की झांकियों ने हर किसी को रिझाया
   जैसलमेर शहर के प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय जैसलमेर द्वारा जन्माष्टमी पर्व हर्षोल्लास से मनाया गया। सुबह से ही यहां विभिन्न कार्यक्रमों का दौर शुरू हो गया, जो रात तक चलता रहा। सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ, वहीं कृष्ण-राधा के बाल रूप धरे बच्चों की झांकियों ने हर किसी को रिझाया। संस्कार भारती के तत्वावधान में राधा-कृष्ण प्रतियोगिता में कई नन्हें मुन्ने राधा कृष्ण का रूप धरकर भाग लेने पहुंचे। संस्कार भारती की ओर से आयोजित कृष्ण जन्माष्टमी शुक्रवार को प्रजापति ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय जैसलमेर के द्वारा राजेंद्र प्रसाद कॉलोनी के भवन में धूमधाम के साथ मनाई गई। बालक- बालिकाओं के लिए कृष्ण एवं राधा रूप सज्जा प्रतियोगिता का आयोजन दो वर्गों में हुआ।
   श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़े विभिन्न प्रसंगों पर प्रवचन सुनने व झांकियों के दर्शन करने भाई बहिन पहुंचे। कार्यक्रम में फूलों की होली तथा गोवद्र्धन पर्वत उठाने जैसी जीवंत झांकियां आकर्षण का मुख्य केंद्र रही। बच्चों की ओर से श्रीकृष्ण तथा राधिका के साथ ही गणेश, शिव तथा जोगमाया के रूप बनाकर पेश किए गए।
   श्री कृष्ण जन्माष्टमी के कार्यक्रम का संचालन रितु दीदी ने किया। कार्यक्रम में प्रेम कंवर (पार्षद) बहिन, गुर्जर बहिन, भगति बहिन, गुड्डी बहिन, बंतली बहिन, गुलाब बहिन, निजरा बहिन, मनीषा कुमारी, माया कुमारी, कमला बहिन, मोहिनी बहिन, प्रभु दयाल भाई, देव पूरी भाई, प्रताप पूरी भाई, जयरामदास भाई, राजू भाई,  भजना राम भाई, लुमा राम भाई, हरी राम भाई, दीनदयाल भाई, जितेंद्र भाई, चंद्रशेखर कुमार, दुर्गाशंकर कुमार, सवाई भाई, दामोदर भाई से साथ अन्य बहिन भाई के साथ कॉलोनी के निवासी भी उपस्थित रहे। 
श्रीमद्भागवत गीता के श्रवण से मनुष्य को प्राप्त होता है मोक्ष
   वही मध्यप्रदेश के रतलाम में भी पंडित दुर्गा शंकर ओझा द्वारा श्रीमद्भागवत गीता का पाठ किया गया। जिले के बाजना में स्थानीय राधा कृष्ण मंदिर में भागवत कथा के छठे दिवस भागवताचार्य पंडित दुर्गा शंकर ओझा ने कथा श्रवण करवाते हुए कहा की भगवान के हाथ से जिनके प्राण निकलते है, वो मोक्ष को प्राप्त करते है। 
  ओझा ने कहा की भगवान को दो तरह से प्राप्त किया जा सकता है। एक निःस्वार्थ भक्ति कर के और दूसरा भगवान से शत्रुता कर के शत्रुता भी ऐसी की भगवान भी मजबूर हो जाए ना की लीपापोती-चापलूसी कर के।"   
   उन्होंने कहा की पुत्र का कर्तव्य हैं कि वह माता-पिता की सेवा करें। लेकिन आजकल सामर्थ्यवान पुत्र होने पर भी माता-पिता की वह सेवा नहीं करते, ऐसे पुत्र को मृत्यु होने पर यमलोक में अनेक यातनाएं झेलना पड़ती है। ओझा ने एक कृष्ण बलराम की संदीपनी आश्रम में शिक्षा के दृष्टांत उल्लेख करते हुए कहा की आज हम दुखी क्यों है, क्योंकि आज की शिक्षण व्यवस्था में संस्कार का आभाव है। हमने भी घर परिवार में संस्कारों को छोड़ दिया है इसलिए तो हम दुःखी है।
   कथा में लोकेंद्र पुरोहित द्वारा स्वर लहरियों की भक्ति धुनों पर भाव विभोर किया गया। कथा भागवत पोथी का पूजन पंडित दिनेश जोशी, अंबाराम राठौर, मांगीलाल प्रजापत, कैलाश सेठ अग्रवाल, श्याम अग्रवाल, संजय टाक, वेहरिग देवड़ा, गुलाब सिंह पंवार, मांगू सिंह पंवार, मुकेश लखारा, रामचंद्र राठौर, लक्ष्मीनारायण टाक, छत्रपाल देवड़ा के साथ उपस्थित भक्त जनों ने कर धर्म लाभ लिया। वही भगवान का मनोहारी श्रंगार पंडित रणछोड़ दास बैरागी ने किया। पूजन पंडित लक्ष्य (साई) शर्मा ने के द्वारा करवाया गया। 

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