जिस तरह हमारे यहाँ लोकसभा होती है, उसी तरह पाकिस्तान में नेशनल असेंबली होती है और जो हमारे यहाँ राज्यसभा होती है उनके यहाँ वो इसको सीनेट कहतें हैं। बाकी राज्यों में उनके यहाँ प्रोविंशियल असेंबली होती है। अगर हम 2018 में पाकिस्तान में हुए चुनाव की बात करें तो सामान्य सीट (जो reserved नही है) पर तीन हिंदुओं का चुनाव हुआ। तीनो ही सिंध प्रांत से है, जहाँ हिंदुओं की जनसंख्या 6.5% के आसपास है और तीनों ही PPP (पाकिस्तान पीपलस पार्टी-वही भुट्टो वाली पार्टी) के टिकट पर जीते है। इनमे एक ने नेशनल असेंबली सीट जीती और दो ने प्रोविंशियल असेम्बली सीट।
1-महेश मलाणी (उन्होंने थारपारकर जिले से नेशनल असेम्बली सीट जीती जहाँ लगभग आधी जनसंख्या हिंदुओं की है। थारपारकर सिंध का सबसे बड़ा जिला है और रेगिस्तानी होने के बावजूद काफी उपजाऊ है)
2—हरिराम किशोरी लाल (इन्होंने प्रोविंशियल असेम्बली सीट जीती मिरपुरखास जिले से जो सिंध प्रांत में है। यहाँ लगभग एक तिहाई लोग हिन्दू हैं। इनको आसिफ अली जरदारी का खासमखास माना जाता है)
3—ज्ञानचंद इसरानी (इन्होंने जामशोरो प्रोविंशियल सीट जीती। ये भी सिंध प्रांत में ही है। ये पिछली सरकार में भी आबकारी और कर मंत्री थे)
इसके अतिरिक्त नेशनल असेंबली में 10 सीट अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित है। इनमें से 6 हिन्दू सदस्य है।लाल चंद
रमेश कुमार वंकवानी
जयप्रकाश
डॉक्टर दर्शन
केशुमाल खीलदास
रमेश लाल
इसके अलावा सीनेट में चार सीट नॉन मुस्लिम के लिए है, उनमें से तीन पर हिन्दू हैं।
हिन्दू सदस्य —
डॉक्टर अशोक कुमार (बलोचिस्तान से)
ज्ञानचंद (सिंध से)
कृष्णा कुमारी कोहली निक नाम केशू बाई (सिंध से)
इसके अतिरिक्त प्रांतीय अससेम्बलीज़ में भी 23 सीट गैर मुस्लिम के लिए है।