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बता दें मजबूर पति ने नवजात बच्ची और पत्नी की जान बचाने के लिए 1240 रुपये में पायल गिरवी रखी. प्रसूता का पति अब तक 12 हजार रुपए की दवा मेडिकल स्टोर से खरीद चुका है. पायल गिरवी रखने बाद भी नवजात बच्ची की जान नहीं बची.
मामला संज्ञान में आने के बाद मेडिकल कॉलेज में हड़कंप मच गया. आनन-फानन में प्राचार्य एसपी सिंह ने जांच बैठा दी. चिकित्सा अधीक्षक डॉ एके श्रीवास्तव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच कमेटी का गठन कर दिया गया. प्राचार्य एसपी सिंह ने जांच टीम को मामले में पांच दिन के भीतर जांच की रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं.
बता दें यह पहला मौका नहीं है जब यूपी के स्वास्थ्य विभाग पर इस तरह की लापरवाही के आरोप लगे हैं. मेडिकल कॉलेज में दवा होने के बावजूद डॉक्टर बाहर की दवा लिखते हैं. मामला गंभीर है. अब देखना यह होगा कि जांच के बाद कार्रवाई होती है या फिर खानापूर्ति कर मामले को दबा दिया जाता है.