ऐसा कोई बचा नहीं, जिसे नटवरलाल ने ठगा नहीं
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ऐसा कोई बचा नहीं, जिसे नटवरलाल ने ठगा नहीं

उद्योगपतियों से समाजसेवी बनकर मिलता और चंदा लेकर हो जाता था गायब 
Natwarlal
    जब प्रश्न आता है की दुनिया का सबसे चतुर व्यक्ति कौन है? तो हमारा मानना है की नटवरलाल सबसे चतुर व्यक्ति थे। आपको बता दे कि मिथिलेश कुमार के कुल 50 नाम थे जिनमें से एक था नटवरलाल। नटवरलाल ने सबसे पहली चोरी 1000 रुपये की थी, उसने अपने पडोसी के नकली हस्ताक्षर कर उनके बैंक खाते से पैसे निकाले थे। नटवरलाल का हुनर किसी भी व्यक्ति के नकली हस्ताक्षर करने में था।
 डा. राजेंद्र प्रसाद भी नटवर लाल की प्रतिभा से हो गए थे प्रभावित 
   एक बार उसके पड़ोस के गाँव में उस समय के राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद आये हुए थे। नटवर लाल को डा. राजेंद्र प्रसाद से मिलने का मौका मिला। नटवर लाल ने उनके सामने भी अपने हुनर का प्रदर्शन किया और राष्ट्रपति के भी हुबहू हस्ताक्षर करके सबको हैरान कर दिया। नटवरलाल ने राष्ट्रपति से कहा कि यदि आप एक बार कहें तो मैं भारत के ऊपर विदेशियों का पूरा कर्ज चुका सकता हूं और वापस कर उन्हें भारत का कर्जदार बना सकता हूँ।
   डा. राजेंद्र प्रसाद भी नटवर लाल की प्रतिभा से काफी प्रभावित हुए। नटवर लाल ने उन्हें कहा कि तुम बहुत प्रतिभावान हो इसका उपयोग सकारात्मक कामों में करो और नौकरी दिलाने के लिए साथ चलने को कहा। लेकिन नटवर को यह ऑफर पसंद नहीं आया वह क्योंकि उसके पास तो जादुई चिराग था; “राष्ट्रपति के हस्ताक्षर”। बस यहीं से नटवरलाल के बड़े कारनामों का सिलसिला शुरू हुआ।
ऐसा कोई बचा नहीं, जिसे नटवरलाल ने ठगा नहीं
    नटवर 1970-90 तक ठगी में सक्रिय रहा और वेश-भूषा और नाम बदलने में खूब माहिर था। उसने करोड़ों रुपये के लिए सैकड़ों लोगों को धोखा दिया था। इनमें टाटा और बिडला और धीरू अम्बानी जैसे लोग भी शामिल थे। वह इन उद्योगपतियों से समाजसेवी बनकर मिलता था और समाज के कार्यों के लिए बहुत मोटा चंदा लेता था और फिर गायब हो जाता था। नटवरलाल ने कई दुकानदारों को नकली चेक और ड्राफ्ट देकर भी लाखों रुपयों का चूना लगाया था।
भारत कई इमारतों का कर दिया था सौदा 
   इतना ही नहीं नटवरलाल ने राष्ट्रपति के फर्जी हस्ताक्षर करके एक बार देश के राष्ट्रपति भवन को, दो बार लाल किला और तीन बार ताजमहल को भी बेच दिया था. हैरानी की बात है कि जब उसने संसद को बेचा था, तब सारे सांसद वहीं उपस्थित थे। 
पुलिस को चकमा देने में था माहिर
   संसद इत्यादि बेचने के बाद नटवरलाल बहुत बड़ा अपराधी बन चुका था, उस पर 8 राज्यों में 100 से अधिक अपराधिक मामले दर्ज थे। वह अपने पूरे जीवनकाल में 9 बार पकड़ा गया था। अगर उसे मिली सजाओं को जोड़ा जाए तो उसे कुल 111 साल की सजा हुयी थी और उसने जो सजा पूरी की वो 20 साल से भी कम की थी। इसका कारण था उसका नाटकीय ढंग से भाग जाना। नटवरलाल जितने नाटकीय ढंग से पकड़ा जाता उससे भी ज्यादा नाटकीय तरीके से भागने में कामयाब हो जाता था।
   एक बार 75 वर्ष की आयु में 3 हवलदार नटवर लाल को पुरानी दिल्ली की तिहाड़ जेल से कानपुर ले जाने के लिए रेलवे स्टेशन पर लाये। नटवरलाल जोर-जोर से हांफने लगा और एक हवलदार से बीमारी का बहाना लगा उसे दवाई लाने को कहा, दूसरे को पानी लेने भेजा और तीसरे को टॉयलेट का बहाना बनाकर लेट्रिन की बाथरूम से भाग गया।
    नटवरलाल को आखिरी बार जून 24, 1996, को देखा गया था जब वृद्धावस्था होने के कारण उसका स्वास्थ्य ख़राब रहने लगा तो अदालत के आदेश पर इलाज के लिए एम्स-दिल्ली ले जाने के लिए दो हवलदार, एक डॉक्टर और एक सफाई कर्मचारी की टीम दिल्ली स्टेशन लाये और वह यहीं से नाटकीय तरीके से गायब हो गया। इसके बाद किसी को उसके बारे में पता हीं चला।
नटवरलाल के ठगी के किस्से और कहानियां टीवी पर थी मशहूर 
   आज तक चैनल ने नटवरलाल के ठगी के किस्से और कहानियों पर 2004 में एक लोकप्रिय साप्ताहिक अपराध आधारित टेलीविजन कार्यक्रम 'जुर्म' भी प्रसारित किया था।
गाँव के लोगो ने लगवा दी उसकी मूर्ति 
  बिहार के बंगरा गाँव के लोग अपने आप को गौरवान्वित महसूस करते हैं और उन्होंने नटवरलाल के सम्मान में अपने गाँव में जहाँ उसका घर था वहां पर उसकी एक मूर्ति लगाने लगा दी है।
मृत्यु को भी धोखा दिया?
    वर्ष 2009 में जब उनके वकील ने कोर्ट से कहा कि क्यों ना अब नटवरलाल के ऊपर लंबित सभी 100 से ज्यादा मामलों को ख़त्म कर दिया जाये क्योंकि 25 दिसंबर, 2009 को नटवरलाल की मृत्यु हो चुकी है, इस पर नटवरलाल के भाई ने विरोध करते हुए कहा कि उनके ऊपर तो सभी केस 14 साल पहले ही ख़त्म कर दिए जाने चाहिए थे क्योंकि उन्होंने खुद अपने भाई का अंतिम संस्कार 1996 में कर दिया था। अभी तक नटवरलाल की मृत्यु के बारे में कुछ भी निश्चित खबर नहीं है। इस प्रकार आपने देखा कि एक आदमी इतना बड़ा धोखेबाज हो सकता है कि उसने अपनी मौत को भी धोखा दे दिया था।

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