जय भीम - जय मीम का नारा लगाने वाले इस बात को क्यों नहीं जानते?
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जय भीम - जय मीम का नारा लगाने वाले इस बात को क्यों नहीं जानते?

पाकिस्तान के पहले हिन्दू क़ानून मंत्री पाकिस्तान से भाग कर भारत क्यों आए?
Yogendra Nath Mandal
  पाकिस्तान के पहले क़ानून मंत्री योगेन्द्र नाथ मंडल पाकिस्तान से भाग कर भारत क्यों आए थे? उन्होंने पाकिस्तान बनाने का समर्थन क्यों किया था?
 योगेन्द्र नाथ मंडल भारत के नामी-गिरामी अनुसूचित जाती के नेताओं में से एक थे। वे बाबा साहेब आंबेडकर के समकक्ष अनुसूचित जाती के नेता थे। 
  योगेन्द्र नाथ मंडल जाती से "नामशूद्र" थे और उनका जन्म बंगाल (अभी के बांग्लादेश) में हुआ था। उन्होंने वकालत की पढाई कि थी। लेकिन उन्होंने कभी वकालत नहीं की और वे अपने समाज को जगह दिलाने के लिए समाज सेवा और राजनीती में आये थे। 
   योगेन्द्र नाथ मंडल बाबा साहेब आंबेडकर के ऑल इण्डिया शेड्युल्ड कास्ट्स फेडरेशन (AISCF) से भी जुड़े और इसका विस्तार बंगाल में किया था। जब मुल्सिम लीग ने पाकिस्तान की मांग की तो योगेन्द्र नाथ मंडल मुल्सिम लीग की तरफ झुकते चले गए। जब बंगाल में मुस्लिम लीग की सरकार बनी तो इनको मंत्री भी बनाया गया। योगेन्द्र नाथ मंडल का मानना था कि बंगाल में ऊँची जातियों के लोग अनुसूचित जातियों और मुसलमानों दोनों पर अत्याचार करते थे इलसिए अनुसूचित जातियों के लिए मुस्लिम लीग के साथ रहना अच्छा होगा। 
मुस्लिम लीग ने हिन्दुओं का किया कत्लेआम 
   जब 1946 में मुस्लिम लीग ने डायरेक्ट एक्शन डे के दिन हिन्दुओं का कत्लेआम किया और पूर्वी बंगाल में हिन्दू विरोधी दंगा शुरू हुआ तो तो योगेन्द्र नाथ मंडल ने अनुसूचित जातियों से अपील की, कि वो मुस्लिमों के खिलाफ कोई हिंसा न करें। योगेन्द्र नाथ मंडल को लगता था कि दलितों मुस्लिमों के साथ अधिक अच्छे से रह पाएंगे।
भारत और पाकिस्तान दोनों में दलित थे कानून मंत्री 
    जिन्ना ने योगेन्द्र नाथ मंडल को नेहरू की अंतरिम सरकार में मुस्लिम लीग की तरफ से मंत्री बनाया। जब भारत का बंटवारा हुआ और देश को स्वतंत्रता मिली तो बाबा साहेब आंबेडकर को भारत का कानून मंत्री बनाया गया। इसके उत्तर में पाकिस्तान ने योगेन्द्र नाथ मंडल को अपना कानून मंत्री बनाया। इस तरह उस समय भारत और पाकिस्तान दोनों में दलित कानून मंत्री थे। भारत में बाबा साहेब को संविधान सभा ने ड्राफ्टिंग कमिटी का प्रमुख बनाया लेकिन जिन्ना को संविधान बनाने से कोई मतलब नहीं था। 
पुरे ब्रह्माण्ड पर अल्लाह की सम्प्रभुता किया गया था दावा
   योगेन्द्र नाथ मंडल पाकिस्तान में मंत्री तो थे लेकिन उनका कुछ अधिक काम नहीं था और धीरे-धीरे योगेन्द्र नाथ मंडल को मंत्रिमंडल में महत्व मिलना कम हो गया। सितम्बर 1948 में जिन्ना की मृत्यु हुई और लियाकत अली के हाथ में पाकिस्तान की सत्ता चली गयी। 1949 में पाकिस्तान के संविधान सभा ने अपना ऑब्जेक्टिव रेसोलुशन (उद्देश्य संकल्प) पेश किया और योगेन्द्र नाथ मंडल को इसका समर्थन करना पड़ा। इसमें यह कहा गया कि पुरे ब्रह्माण्ड पर अल्लाह की सम्प्रभुता होगी और पाकिस्तान में इस्लाम के अनुसार लोकतंत्र के सिद्धांत, स्वतंत्रता और समानता होगी।
हिन्दू विरोधी हुआ दंगा, लाखों हिंदी मारे गए 
   तभी 1950 में पूर्वी पाकिस्तान में एक बड़ा हिन्दू विरोधी दंगा हुआ जिसमें लाखों हिंदी मारे गए (यह बंटवारे के दंगे से भी बड़ा था)। इस दंगे में दलितों पर भी हमला हुआ क्योंकि दंगाई दलितों को हिन्दू के रूप में देखा न कि दलितों के रूप में (यही बात विभाजन के दंगों में भी हुई थी)। तब जाकर योगेन्द्र नाथ मंडल का मोह पाकिस्तान से भंग हुआ और उन्हें अहसास हुआ कि पाकिस्तान में उन्हें हिन्दू के रूप में देखा जाता है। वो भारत आ गए और तब जा कर उन्होंने मंत्रिपद से इस्तीफा दिया। पाकिस्तान की बहुत किरकिरी हुई कि उनका मंत्री पाकिस्तान से चला गया है। 
   बाबा साहेब आंबेडकर हिन्दू धर्म के कुरीतियों पर बहुत कुछ बोले और उन्होंने बाद में बौद्ध धर्म को भी स्वीकार किया। उन्होंने मुस्लिम धर्म और पाकिस्तान के हिन्दुओं और दलितों के प्रति नरसंहार की भी कड़ी आलोचना की। उन्होंने पाकिस्तान का कभी समर्थन नहीं किया। यह बात योगेन्द्र नाथ मंडल को बहुत बाद में समझ में आयी और वो तो 1950 में भारत आ गए लेकिन उनके समाज के लोग उनकी तरह नहीं निकल पाए। 
मुस्लिमों ने दलित "नामशूद्र" वर्ग पर बहुत किया था अत्याचार 
   जब भी पूर्वी पाकिस्तान/बांग्लादेश में हिन्दू विरोधी दंगा होता है (जैसे 1947, 1950, 1964, 1971, 1990, 1992) तो "नामशूद्र" समाज के लोगों पर बहुत अत्याचार होता है। बहुत से "नामशूद्र" और अन्य दलित समुदाय के लोग 1947 में भारत नहीं आये थे लेकिन बाद के दशकों में भारत आये और आज पश्चिम बंगाल में उनकी अच्छी आबादी है। जब वे  भी भारत आये तो उनको बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा जैसे वामपंथी सरकार ने 1979 में मारापाची में उनका नरसंहार किया। अगर वो लोग 1947 में ही भारत में बस जाते तो शायद उनकी स्थित अधिक अच्छी होती।
   आज जो जय भीम जय मीम का नारा लगाते है वे योगेन्द्र नाथ मंडल के इतिहास और बाबा साहेब के विचारों को नजरअंदार कर रहे है।

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