कानूनी लड़ाई 17 साल तक चली, यूनिवर्सिटी पर लगा 8 लाख रुपये का जुर्माना
लाहौर/पाकिस्तान।। 18 साल पहले पाकिस्तान पंजाब यूनिवर्सिटी की छात्रा वजीहा उरोज ने यूनिवर्सिटी के खिलाफ केस दर्ज कराया था। घटना के अनुसार एक इम्तिहान के दौरान उसे अनुपस्थित घोषित कर दिया गया था, जबकि वह इम्तिहान देने आई थी। देखा जाए तो यह स्पष्ट रूप से यूनिवर्सिटी की गलती थी।
इस वाक्य ने वजीहा की जिंदगी बदल दी
वजीहा समस्या को सुलझाने के लिए अपने पिता के साथ यूनिवर्सिटी गई। तब एक क्लर्क ने वजीहा के पिता से कहा, "क्या आप जानते हैं कि आपकी बेटी इम्तिहान के बहाने कहां जाती है?" इस वाक्य ने वजीहा की जिंदगी बदल दी। वह समझ नहीं पाई की एक अफवाह को कैसे रोका जाए? उसकी मां भी उसे शक की नजर से देखने लगी थी।
पिता ने भी दिया उसका साथ
वजीहा ने यूनिवर्सिटी के खिलाफ केस दर्ज कराया, उसके पिता ने भी इसमें उसका साथ दिया। चार महीने बाद यूनिवर्सिटी ने अपनी गलती मान ली, लेकिन अफवाह तो अफवाह होती है, फैलती रहती है।
यूनिवर्सिटी पर लगा 8 लाख रुपये का जुर्माना
वजीहा ने विश्वविद्यालय से उसके चरित्र पर लगे दाग को साफ करने के लिए कहा। कानूनी लड़ाई 17 साल तक चली। पिछले साल कोर्ट ने वजीहा के पक्ष में फैसला सुनाते हुए यूनिवर्सिटी को 8 लाख रुपये जुर्माना भरने का आदेश दिया।
क्लर्क की टिप्पणी का भार 17 साल तक ढोया
वजीहा ने उस क्लर्क की टिप्पणी का भार 17 साल तक ढोया। वह साहसी थी और मामले को कोर्ट तक ले गई, लेकिन हर लड़की ऐसा नहीं कर सकती। लोग एक लड़की की पीड़ा से अधिक परिवार के सम्मान को महत्व देते हैं।
दिल में बेचैनी, बेकारता और अभाव अभी भी
वजीहा के माता-पिता ने ग्रेजुएशन के बाद उसकी शादी कर दी। उन्हें डर था कि अगर बात फैलती रही तो कोई वजीहा को स्वीकार नहीं करेगा। वजीहा अपने जीवन से संतुष्ट है लेकिन उसके दिल में बेचैनी, बेकारता और अभाव अभी भी है।