क्या है नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट?
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क्या है नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट?

  नशीले पदार्थों स्वापक औषधियाँ, मन प्रभावी पदार्थ गाँजा, चरस, हशीश, अफ़ीम, डोडा, पोस्त, मॉर्फ़िन, हेरोयन, ब्राउन शुगर, कोको, कोकिन के उपभोग, बेचने, बनाने को लेकर एक कानून है, जिसे NDPS Act 1985 भी कहते है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) 17 मार्च 1986 को स्थापना हुई थी, जो कि एनडीपीएस एक्ट के तहत एफआईआर भी दर्ज कर अनुसंधान की कार्यवाही करती है। भारत में 1985 से पहले इसके सेवन पर कोई बैन नहीं था। लेकिन राजीव गांधी की सरकार में इस पर कानून बना और गांजे पर बैन लग गया।
  यह कानून किसी एक व्यक्ति को मादक दवाओं के बनाने, उत्पादन, खेती, स्वामित्व, खरीद, भंडारण, परिवहन या उपभोग करने के लिए प्रतिबंधित करता है। एनडीपीएस एक्ट के तहत 'चरस' कैनेबिस के पौधे से निकले रेजिन (Resin) से तैयार होता है. पेड़-पौधों से जो चिपचिपा तरल निकलता है वो रेजिन कहलाता है. हिंदी में इसे राल कहते हैं। चरस को ही हशीश या हैश भी कहते हैं। 
  धारा- 10 एनडीपीएस एक्ट में प्रावधान है कि राज्यों को किसी भी कैनेबिस के पौधे की खेती, उत्पादन, निर्माण, भंडारण, परिवहन, एक राज्य से दूसरे और दूसरे राज्य से खुद के राज्य में आयात-निर्यात, बिक्री, खरीद खपत या भांग के उपयोग (चरस को छोड़कर) की अनुमति है। राज्यों के पास भांग के उपयोग को रेग्युलेट करने और अनुमति देने की शक्ति होने की वजह से उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे कुछ राज्यों में सरकारी दुकानों द्वारा बेचा जाता है।
NDPS एक्ट के तहत क्या गैरकानूनी नहीं है?
- भारत में औद्योगिक (Industrial) उद्देश्यों या बागवानी (Horticulture) के लिए कैनेबिस की खेती कानूनी है। 
- मेडिकल या वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए सरकार की अनुमति के साथ उत्पादन, निर्माण, भंडारण किया जा सकता है। 
- यह एक्ट विशेष रूप से कैनेबिस के रेजिन और फूलों की बिक्री और उत्पादन को प्रतिबंधित करता है, जबकि बीज और पत्तियों के उपयोग की अनुमति है। 
  यदि कोई व्यक्ति ग़ैर-कानूनी रूप से कैनेबिस के पौधों की खेती करते हुए पाए जाने पर 10 साल तक की जेल और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। खेती के लिए लाइसेंस राज्य व केन्द्र सरकार द्वारा जारी किए जाते हैं।
  कम मात्रा और वाणिज्यिक मात्रा (Commercial Quantity) के बीच की मात्रा होने पर 10 साल तक की सजा और एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है या दोनों हो सकते हैं। ऐसे मामलों में जमानत मिलना या न मिलना पकड़े गए नशीले पदार्थ और पुलिस की धाराओं पर निर्भर करता है। 

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