पुलिस ने ऐसा मामला सुलझाया जिसमे न मरने वाले का कोई पता था और ना ही कोई सबूत
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पुलिस ने ऐसा मामला सुलझाया जिसमे न मरने वाले का कोई पता था और ना ही कोई सबूत

  तिरुवनन्तपुरम/केरल।। 7 जनवरी 2018 को कुछ लोग सरोवर के किनारे मछ्ली पकड़ने गए थे। वहाँ पर उनको एक प्लास्टिक का ड्रम दिखा जिसमे से अजीब सी बदबू आ रही थी। किसी अनहोनी के डर से लोगो ने इसकी सूचना पुलिस को दे दी। जब पुलिस ने ड्रम को देखा तो ड्रम सीमेंट और कंक्रीट से पूरी तरह पैक था। दुर्गंध का पता लगाने के लिए पुलिस ने ड्रम को तोड़ा।
  ड्रम तोड़ने पर उसमे से कुछ टूटी फूटी मानव अस्थियाँ, रस्सी की टुकड़ा, तीन नोट (एक 100 और दो 500 के) कपड़ो के चिथड़े और कुछ बालो के गुच्छे निकले। बतादे कि यह केस उस समय समाचार पत्रों मे छा गया था। इसके पेचीदेपन को देखते हुए इसे केरल के सेरलोक होम्स कहे जाने वाले इंस्पेक्टर सीबी टॉम को सौंपा गया।हड्डियों को जब ध्यान से देखा गया तो उसमे एक स्क्रू फंसा हुआ मिला।
  पुलिस को एक राहत की सांस मिली। स्क्रू के अलावा पुलिस को उसमे कुछ भी ऐसा नहीं मिला था, जिससे की मृतक का पता किया जा सके। यहाँ तक की यह भी बताना मुश्किल था की मृतक नर था या मादा। हालांकि बालो की लंबाई से यह अंदाजा लगाया जा रहा था की मृतक कोई महिला थी, परंतु समस्या यह थी की आज कल लंबे बालो का शौक लड़को को भी है, तो हो सकता है की मरने वाला कोई नर रहा हो।
  चूंकि ड्रम मे मिली हुई नोट में 500 के पूराने नोट भी थे, जिससे यह अंदाजा लगाया जा रहा था की यह हत्या 8 नवंबर 2016 (जिस दिन नोटेबन्दी की घोषणा हुई थी) उसके पहले हुई होगी। 2 वर्ष पुरानी लाश के बारे मे पता करना पुलिस के लिए बहुत मुश्किल था और तो और लाश का लिंग भी नहीं पता था की मरने वाला नर है या मादा।
हड्डी मे मिले स्क्रू को जब बहुत ध्यान से एक उच्चस्तर के कैमरे से देखा गया तब उस स्क्रू पर PITKAR लिखा हुआ दिखा। नेट पर सर्च करने पर पता चला की यह पूणे की कंपनी का है, जो पूरे देश मे इस तरह के स्क्रू का निर्यात करती है। पुलिस ने जब इस कंपनी से पता किया तो पता चला की साल 2016 मे इस तरह के कुल 161 स्क्रू पूरे देश मे भेजे गए थे, जिसमे से केवल 6 केरल मे भेजे गए थे। पुलिस ने काफी जांच करने के बाद केरल के उन 6 मरीजो के नाम और पता, पता लगा लिया जिन्हे 2016 मे यह स्क्रू लगाया गया था।
  5 मरीज तो पुलिस को मिल गए लेकिन एक शकुंतला नाम की महिला का कहीं कुछ पता नहीं चल रहा था। अस्पताल मे जब शकुन्तला से मिलने आने वालों की लिस्ट निकाली गई तो उसमे से एक नाम था अस्वती दामोदरन। जब पुलिस अस्वती के घर पहुंची तो पता चला की शकुंतला अस्वती की माता थी। अस्वती ने बताया की उसे अपनी माँ को देखे हुए 2 बर्ष हो गए।
   अस्वती ने बताया की उसकी माँ की स्कूटी एक ट्रक से टकरा गई थी, जिससे उसकी मा की बाएँ पैर मे फ्रेक्चर हो गया था और उसके बाएँ पैर मे एक स्क्रू लगाया गया था। इस बात से पुलिस को यह पता चल गया की मरने वाली महिला ही थी और उसका नाम शकुंतला था। अब पुलिस के समक्ष सबसे बड़ा प्रश्न यह था की शकुंतला की हत्या किसने और क्यूँ की?
  इसके लिए पुलिस ने अस्वती की कुंडली खंगलनी शुरू कर दी। फिर पुलिस को पता चला की अस्वती और उसका प्रेमी सुजीत, शकुंतला के साथ ही रहा करते थे। अस्वती ने अपने प्रेमी सुजीत के बारे मे पुलिस को पहले कुछ भी नहीं बताया था। पुलिस को समझ मे नहीं आ रहा था की प्रेमी वाली बात अस्वती ने क्यूँ छुपा रखी थी। पुलिस ने फिर से अस्वती को थाने बुलाकर पूछ ताछ शुरू की।
पुलिस -"तुमने अपने प्रेमी सुजीत के बारे मे क्यूँ नहीं बताया?"
अस्वती -"साहब क्या बताती वो तो 20 दिन पहले 9 जनवरी 2018 को ही आत्महत्या कर लिया है।"
पुलिस को आश्चर्य हुआ क्यूंकी 7 जनवरी को ड्रम मे लाश मिलने की खबर पूरे समाचार पत्रो मे छपी थी और 9 जनवरी को ही सुजीत ने आत्महत्या कर लिया। कहीं सुजीत तो ही हत्यारा नहीं था। अब इस बात का खुलासा केवल अस्वती ही कर सकती थी अतः पुलिस ने उससे सख्ती से पूछ ताछ शुरू कर दी।
अस्वती ने कुछ ऐसी कहानी सुनाई।
अस्वती - "साहब जब माँ अस्पताल से घर आई उसके कुछ दिन ही बाद माँ को चेचक हो गया था, अतः मैं अपने बच्चे के साथ बगल के एक लॉज मे जाकर रहने लगी थी। एक सप्ताह बाद जब वापस आई तो माँ नहीं थी लेकिन वहाँ सुजीत था। उसने कहा की तुम्हारी माँ एक ईसाई मिशनरी के साथ दिल्ली चली गईं हैं, और यह कह कर गईं है की वह अब उन्ही के साथ रहेंगी। साहब मेरी माँ और मेरे बीच संबंध अच्छे नहीं थे, मेरी माँ मेरे और सुजीत के रिश्ते को लेकर किचकिच करती रहती थी, अतः मुझे खुशी हुई की अब कोई किचकिच करने वाला नहीं है।"
  पुलिस ने अस्वती से यह जानकारी लेकर सुजीत की कुंडली खंगालनी शुरू कर दी। सुजीत का एक खास दोस्त था सुरेश जो ऑटो चलाता था। लोगो ने बताया की जिस दिन शकुंतला गायब हुई थी, उस दिन सुजीत के साथ उसका दोस्त सुरेश भी शकुंतला के घर के आस पास दिखाई दिया था। रात के 2 बजे सुरेश और सुजीत ऑटो से कोई भारी समान ले जाते हुए भी देखे गए थे। पुलिस ने सुरेश को पकड़ कर जब सख्ती से पूछताछ की तो उसने सारे राज उगल दिए। 
सुरेश -"साहब, सुजीत शादी शुदा होते हुए भी अस्वती से संबंध बनाए हुए था। उसके शादी की खबर अस्वती को तो नहीं थी लेकिन शकुंतला को हो गई थी। शकुंतला यह सच्चाई बता कर अपने बेटी का दिल नहीं तोड़ना चाहती थी अतः वह सुरेश व सुजीत पर ही दबाव बना रही थी की वह उसके बेटी के जिंदगी से कहीं दूर चले जाये। शकुंतला ने यह धमकी भी दी की अगर उसने ऐसा नहीं किया तो यह राज वह अपनी बेटी को भी बता देगी। सुजीत काफी परेशान हो गया था और तब उसने शकुंतला को ही राश्ते से हटाने का तय कर लिया। चेचक के समय जब अस्वती घर से दूर रहने लगी तब सुजीत को मौका मिल गया। उसने गला दबाकर शकुंतला की हत्या कर दी और लाश को प्लास्टिक ड्रम मे भर कर उसके ऊपर से कंक्रीट डाल कर पैक कर दिया। उसके बाद मैंने और सुजीत ने रात को ऑटो से ड्रम ले जाकर पानी के अंदर डूबा दिया।"
  आखिरकार पुलिस ने ऐसा मामला सुलझाया जिसमे न मरने वाले का कोई पता था और ना ही कोई सबूत था। वैसे पुलिस द्वारा सुलझाया गया यह एक अद्भुत मामला था।

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